विश्व पटल पर जौनपुर के गौरवशाली इतिहास के सन्दर्भ में जमदग्निपुरम, देवनगरी यवनपुर जौनपुर के ही पर्यायवाची नाम हैं।
Jaunpur Ka Etihas
वैदिक काल Jaunpur Story: वैदिक काल में जौनपुर जमदग्नि ऋषि की तपोभूमि होने के गौरव के साथ इसका वैदिक नाम जमदग्निपुरम था जो की धीरे धीरे समय परिवर्तन के साथ जौनपुर हो गया।
देवनगरी से जौनपुर: शिवपुराण के अनुसार वैदिक काल में ऋषी मुनियों की पावन धरती जौनपुर (देवनगरी) देव स्थली, शिक्षा, संस्कृति, कला के क्षेत्र में अग्रगणी होने के कारण इसका पुराना नाम देवनगरी था। प्रमाण के आधार पर भगवान परशुराम द्वारा आयोजित महायज्ञ जमैथा, देवनगरी (जौनपुर) में ही सम्पन्न हुआ था। समय चक्र के साथ जिसे शर्की शासकों ने देवनगर से यवनपुर और बाद में जौनपुर में परिवर्तित कर दिया।
जौनपुर की प्राचीनता: विभिन्न खुदाइयों के अवशेषों के आधार पर हम जौनपुर के प्रागैतिहासिक बसाव की सीमा का अवलोकन कर सकते हैं, विभिन्न तथ्यों व उत्खननों के आधार पर जौनपुर की प्राचीनता की सीमा करीब 3000 ई. पू. माना जा सकता है।
त्रेता युग में जौनपुर: लोक कथाओं के अनुसार जौनपुर शहर का इतिहास रामायण काल से भी जुड़ा है। ऐसा बताया जाता है कि त्रेता युग में जमदग्निपुरम (जौनपुर) के राजा किरारबीर का राम ने वध किया था।
यवनपुर-जौनपुर: कथन प्रमाण के आधार पर शर्की सल्तनत के समय में जौनपुर का नाम यवनपुर था। शर्की सुलतान अफ्रीका से भारत आये थे और अफ्रीकियों को यवन कहा जाता था। यवनों का शासन होने के कारण वर्तमान का जौनपुर शर्की शासनकाल में यवनपुर के नाम से जाना जाता था जो की अवधी भाषा के प्रभाव से जौनपुर हुआ है।
कुतुबुद्दीन ऐबक का आक्रमण 1194: कुतुबुद्दीन ऐबक ने जफराबाद, जौनपुर (पूर्व में मनदेव या मनदेय) पर सन 1194 ई. मेंआक्रमण कर दिया था और तत्कालीन राजा उदयपाल को पराजित करके दीवानजीत सिंह को सत्ता सौप कर कुतुबुद्दीन ऐबक बनारस की ओर आगे बढ़ गया।
जौनपुर शहर की स्थापना 1359: जौनपुर शहर की स्थापना सन 1359 में फिरोज शाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई मुहम्मद बिन तुगलक की याद में की थी। जौना खान की मृत्यु सन 1351 में थट्टा (पाकिस्तान) युद्ध के मैदान में हुयी थी। मुहम्मद बिन तुगलक का वास्तविक नाम जौना खां था, इसी कारण जौना खान की याद में इस शहर का नाम यवनपुर से जौनपुर पड़ा।
राजधानी होने का गौरव 1393-1394: जौनपुर मध्यकालीन भारत में शर्की शासकों की राजधानी होने का गौरव सन 1393 ई प्राप्त कर चुका है जिसकी स्थापना मलिक उसशर्क ने की थी।
महमूद शाह 1389: फिरोजशाह का पुत्र महमूद शाह सन 1389 ई जौनपुर सल्तनत की गद्दी पर बैठा।
शर्की वंश के स्थापना 1393-1394:शर्की वंश की स्थापना ख्वाजा जहान ने की थी, जो कि महमूद के दरबार में वज़ीर के पद पर नियुक्त था। सन 1393 ई. में फ़िरोज तुग़लक़ के पुत्र सुल्तान महमूद ने अपने वज़ीर ‘ख़्वाजा जहान’ को ‘मलिक-उस-शर्क’ (पूर्व का स्वामी) की उपाधि देकर कन्नौज से बिहार तक का क्षेत्र उसे सौप दिया। मलिक सरवर ख्वाजा ने दिल्ली पर हुए तैमूर के आक्रमण के कारण व्याप्त अस्थिरता का लाभ उठाकर सन 1394 ई. में स्वतन्त्र ‘शर्की वंश’ की नींव डाली।
मलिक-उल-शर्क की मृत्यु सन 1398: शर्की राजवंश के संस्थापक मलिक-उल-शर्क की मृत्यु सन 1398 ई में हुई, तत्पश्चात उनके दत्तक पुत्र सैय्यद मुरक्शाह को जौनपुर सल्तनत के सिंहासन की सत्ता सौपी गयी। सैय्यद मुरक्शाह के बाद उसका छोटा भाई इब्राहिमशाह जौनपुर की गद्दी पर बैठा। इब्राहिम शाह ने बड़ी निपुड़ता और कुशलता से शासन का संचालन किया। इब्राहिम शाह ने हिन्दुओं के साथ सद् भाव की नीति पर कार्य किया।
प्रसिद्ध अटाला मस्जिद का निर्माण 1393-1408: जौनपुर की ऐतिहासिक एवं विख्यात अटाला मस्जिद की नींव फ़िरोज़शाह ने सन 1393 ई. में रखी थी जिसका निर्माण संपन्न सन 1408 ई. में इब्राहिम शाह ने पूरा किया था।
खालिस मूख्ख्लीस मस्जिद का निर्माण 1417 ई: जौनपुर में प्राचीन सुप्रसिद्ध विजयचंद्र मंदिर के स्थान पर खालिस मूख्ख्लीस मस्जिद (या चार उंगली मस्जिद) को सुल्तान इब्राहीम के सूबेदार अमीर खालिस ख़ाँ ने 1417 ई. में बनवाया था।
प्रसिद्ध जामा मस्जिद का निर्माण 1438-1442: इब्राहीम शाह ने जौनपुर की विख्यात जामा मस्जिद का निर्माण सन 1438 ई. में प्रारंभ किया था और इसे सन 1442 ई. में उनकी पत्नी राजी बीवी ने संपन्न करवाया था।
जौनपुर सल्तनत की सैन्य शक्ति 1402-1440: मुबारक शाह के छोटे भाई शम्स-उद-दीन इब्राहिम ने जौनपुर सल्तनत की सैन्य शक्ति को 1402 ईस्वी से 1440 ईस्वी तक लड़ाकू सेना की शक्ति का कीर्तिमान स्थापित किया था।
लोदी वंश शासन: 1484 से 1525 ई. तक जौनपुर पर लोदी वंश का आधिपत्य रहा है।
इब्राहिम लोदी की मृत्यु 1526 ई.: सन 1526 ईस्वी में पानीपत के युद्ध में बाबर ने अब्राहिम लोदी को परास्त करके मार डाला था।
हुमायू का शासन काल 1530-1556: जौनपुर पर विजय पाने के लिये बाबर ने अपने पुत्र हुमायू को भेजा जिसने जौनपुर के शासक को परास्त करके सल्तनत पर विजय प्राप्त कर ली। हुमायू का शासन काल सन 1530-1556 और 1555-1556 तक रहा।
हुमायूं की मृत्यु 1556: सन 1556 ई. में हुमायूं की मृत्यु हो हो जाने के कारण 18 वर्ष की अवस्था में हुमायूं पुत्र जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर सिंघासन पर सत्तारूढ़ हुआ।
अली कुली खॉ की मृत्यु 1567: अकबर का धुर बिरोधी अली कुली खां के विद्रोह के कारण अकबर ने स्वयं 1567 ई. में चढ़ाई किया और युद्ध में अली कुली खॉ मारा गया। बादशाह अकबर जौनपुर आया और यहॉ कुछ दिनो तक निवास किया। बाद में सरदार मुनीम खॉ को शासक बनाकर अकबर वापिस दिल्ली चला गया।
गोमती नदी का शाही पुल 1564-1569: जौनपुर में गोमती नदी के प्रसिद्ध शाही ब्रिज का निर्माण कार्य मुग़ल बादशाह अकबर ने 1564 ई. में प्रारंभ करवाया था। सन 1569 ई. में यह शाही पुल बादशाह अकबर के सूबेदार मुनीम ख़ाँ की निगरानी में बनकर तैयार हुआ था।
कट्टर सुल्तान सिकन्दर लोदी 1495: जिला जौनपुर के शर्की सुल्तानों के समय महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर तथा अन्य स्मारकों को लोदी वंश के मूर्ख तथा धर्मांध कट्टरता का पर्याय सुल्तान सिकन्दर लोदी ने 1495 ई. में बहुत अधिक नुकसान पहुँचाया था।
अवध के नवाब शासन 1722: 150 वर्षों तक मुगल सल्तनत के अधीन रहने के बाद सन 1722 ई. में जौनपुर को अंग्रेजों द्वारा अवध के नवाब को हस्तांतरित किया गया।
जौनपुर-बनारस-रेजीडेन्ट डेकना 1775-1788: जौनपुर 1775 ई. से 1788 ई. तक बनारस के अधीन रहा और बाद में रेजीडेन्ट डेकना के साथ रहा।
आजमगढ़-जौनपुर 1818: अंग्रेजी शासनकाल 1818 ई. में जौनपुर के अधीन आजमगढ़ को भी कर दिया गया था।
आजमगढ़-जौनपुर बिभाजन 1822-1830: अंग्रेजी सरकार द्वारा 1822 ई0 एवं 1830 ई0 में आजमगढ़ और जौनपुर को बिभाजित कर अलग-अलग कर दिया गया।
जौनपुर की विशेष विशेषता: जौनपुर का सम्बंद सतयुग, त्रेता, द्वापर कलयुग, आदि काल, पौराणिक काल, वीरगाथा काल, भक्ति काल, मुगल काल, ब्रिटिश काल यानि की आर्य के आगमन से लेकर आज तक वर्तमान काल तक का गहरा अटूट सम्बंद रहा है।
Jaunpur ka Itihas In Hindi
शर्की वंश के प्रमुख शासक कौन कौन थे:-
- मलिक करनफूल मुबारकशाह
- इब्राहिमशाह शर्की
- महमूदशाह शर्की
- मुहम्मदशाह शर्की
- हुसैनशाह शर्की
जौनपुर क्यों प्रसिद्ध है?
जौनपुर के मुख्य प्रसिद्द दर्शनीय स्थल
- अटाला मस्जिद जौनपुर
- जामा मस्जिद जौनपुर
- शाही किला जौनपुर
- लाल दरवाजा मस्जिद जौनपुर
- खालिश मुखलिश मस्जिद जौनपुर
- शाही ब्रिज जौनपुर
- शीतला माता मंदिर (चौकियां धाम) जौनपुर
- बारिनाथ मंदिर जौनपुर
- यमदाग्नी आश्रम जौनपुर
- रामेश्वरम महादेव जौनपुर
- गोकुल घाट(गोकुल धाम) जौनपुर
- पांचों शिवाला जौनपुर
- Famous जौनपुर की मूली
जौनपुर के इतिहास में प्रसिद्ध / अवधि और तिथि
जौनपुर के इतिहास की मुख्य घटनाएँ और विषय
विवरण में जौनपुर के इतिहास में उपलब्धियां
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जौनपुर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
प्रश्न: जौनपुर की स्थापना किसने की थी?
उत्तर: जौनपुर की स्थापना सन 1359 में फिरोज शाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई मुहम्मद बिन तुगलक की याद में की थी।
प्रश्न: जौनपुर कहां है?
उत्तर: जौनपुर जिला उत्तर प्रदेश में है।
प्रश्न: जौनपुर में कितनी नदियां है?
उत्तर: जौनपुर की मुख्या नदियां गोमती और सई नदियाँ हैं। इसके अतिरिक्त अन्य छोटी नदियां अलावा, वरुण, पिली और मयुर आदि हैं।
प्रश्न: लखनऊ से जौनपुर कितने किलोमीटर है?
उत्तर: लखनऊ से जौनपुर 247 किलोमीटर है।
प्रश्न: जौनपुर की कितनी जनसंख्या है?
उत्तर: जौनपुर की कुल जनसँख्या 44,94, 204 है (2011 की जनगड़ना का अनुसार)
प्रश्न: जौनपुर के वर्तमान राजा का नाम क्या है?
उत्तर: जौनपुर के वर्तमान राजा अवनींद्र दत्त हैं।
प्रश्न: जौनपुर नगर की स्थापना किसकी स्मृति में की गई?
उत्तर: जौनपुर नगर की स्थापना फिरोज शाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई मुहम्मद बिन तुगलक की याद में की थी।
प्रश्न: जौनपुर राज्य का अंतिम शासक कौन था?
उत्तर: जौनपुर रियासत के अंतिम शासक राजा यादवेन्द्र दत्त थे।
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