सिंदूर का महत्व। महिलाएं सिंदूर क्यों लगाती है?

सिंदूर का महत्व Sindoor Ka Mahatva 

सिन्दूर भारतीय उपमहाद्वीप का एक पारंपरिक सिन्दूरी लाल या नारंगी-लाल कॉस्मेटिक पाउडर है, जिसे आमतौर पर विवाहित महिलाएं अपनी मांग में भरती है। सिन्दूर पारंपरिक रूप से एक महिला के मांग या माथे पर लगाया जाता है। हिंदू धर्म में सिन्दूर एक विवाहित महिला की निशानी है। हिंदू समुदायों में, सिन्दूर एक महिला की वैवाहिक स्थिति का एक स्पष्ट संकेतक है और इसे न लगाने पर विधवापन होता है। आइए इस लेख के माध्यम से हम आपको सिन्दूर के विषय में बताते हैं। महिलाएं सिंदूर क्यों लगाती है, सिन्दूर कैसे लगाते हैं, सिन्दूर कब लगाते हैं, मांग में सिंदूर लगाने से क्या होता है, सिंदूर क्यों लगाया जाता है, महिलाएं सिंदूर क्यों लगाती है?, सिंदूर कितनी बार लगाया जाता है?, मांग भरने से क्या होता है?, क्या पीरियड में सिंदूर लगाना चाहिए? आदि के संबंध में जानकारी नीचे दी गई है, कृपया ध्यानपूर्वक पढ़ें।

महिलाएं सिंदूर क्यों लगाती है ? Mahilaye sindoor kyon lagati hain 

भारतीय संस्कृति में शादी के बाद महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती हैं। इसे उनके शादीशुदा जीवन, सुहाग और पति की उम्र से जोड़ा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मांग में सिंदूर लगाने से जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही पति की आयु भी लंबी होती है। इसके लिए विवाहित महिलाएं शादी के बाद रोजाना मांग में सिंदूर लगाती हैं। सिंदूर का उपयोग महिलाओं द्वारा विवाह के पश्चात मांग भरने में भी किया जाता रहा है। सिन्दूर से मांग सजाना सुहागिन महिलाओं का प्रतीक माना जाता है। आजकल सिंदूर से मांग भरने का चलन कम हो गया है। सिंदूर से मांग भरने से महिला के शरीर में स्थित वैद्युतिक उत्तेजना नियंत्रित होती है। सिंदूर का विज्ञान सिंदूर आरोग्य, बुद्धि, त्याग और दैवी महात्वाकांक्षा का प्रतीक है। साधु-संन्यासियों के वस्त्र का रंग भी ऐसा ही होता है। सिंदूर चढ़ाने का अभिप्राय यही है कि हमारा जीवन त्यागमय हो और लक्ष्य भगवान की प्राप्ति। सिंदूर में पारा होता है जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी है। मूर्ति पर सिंदूर का चोला चढ़ाने से उसका संरक्षण होता है।

सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥

अर्थात- लाल रंग का सिंदूर शोभा, सौभाग्य और सुख बढ़ाने वाला है। शुभ और सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला है। हे देव! आप स्वीकार करें।

सिन्दूरमरुणाभासं जपाकुसुमसनिभम्।
अर्पितं ते मया भक्त्या प्रसीद परमेश्वरि॥

अर्थात- प्रात:कालीन सूर्य की आभा तथा जवा कुसुम की तरह सिंदूर आपको हम अर्पित करते हैं। हे मां! आप प्रसन्न हों।

सिन्दूर का इतिहास क्या है? Sindoor ka itihas kya hai

सिन्दूर का इतिहास लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व का माना जाता है। इसका वर्णन धार्मिक और पौराणिक कथाओं में भी मिलता है, जिसके अनुसार देवी पार्वती और माता सीता भी अपनी मांग में सिन्दूर भरती थीं। ऐसा कहा जाता है कि पार्वती अपने पति शिव को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए उन्हें सिन्दूर लगाती थीं

सिंदूर लगाने की प्रथा कब शुरू हुई? Sindoor lagane ki pratha kab shuru huyi

शास्त्रों के अनुसार, सिन्दूर लगाने की परंपरा रामायण काल ​​से चली आ रही है, क्योंकि माता सीता भगवान राम के लिए अपनी मांग में सिन्दूर लगाती थीं। इतना ही नहीं मां पार्वती भी भगवान शिव के लिए सिंदूर लगाती थी। सिंदूर लगाने से वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती है और जन्म-जन्मांतर का यूं ही साथ बना रहता है। हिंदू विवाह में कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं, जो शादी से कुछ दिन पहले शुरू होती हैं और शादी के कई दिनों बाद तक चलती हैं। गोदभराई(बरीक्षा), तिलक, मेहंदी, हल्दी फिर विवाह और विदाई शामिल है। लेकिन इन सभी रस्मों के बीच शादी का दिन बेहद खास होता है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन फेरे लेने के साथ-साथ कई अन्य रस्में भी निभाते हैं। इन्हीं रीतियों में से एक है सिन्दूर दान। वर द्वारा वधु की मांग में सिंदूर लगाए बिना शादी पूर्ण नहीं मानी जाती है। इसी कारण ये परंपरा सदियों से ऐसे ही चली आ रही है।

सिंदूर कब लगाना चाहिए? Sindoor kab lagana chahiye

हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी लड़की को तब तक अपनी मांग में सिन्दूर नहीं लगाना चाहिए जब तक उसकी शादी न हो जाए। जब किसी लड़की की शादी किसी लड़के से होती है और लड़का उसकी मांग में सिन्दूर भर देता है, उसी दिन से महिलाएं अपनी मांग में सिन्दूर लगाना शुरू कर देती हैं।

सिंदूर कितनी बार लगाना चाहिए? Sindoor kitni bar lagana chahiye

मांग में प्रतिदिन सिन्दूर लगाना चाहिए तथा प्रतिदिन सात बार सिन्दूर लगाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि विवाहित महिलाओं को पूजा के दौरान अपने माथे पर सिन्दूर अवश्य लगाना चाहिए। हिन्दू धर्म के अनुसार महिलाओं को रविवार, सोमवार और शुक्रवार के दिन अपने बाल धोकर सिन्दूर लगाना चाहिए।

शादी के बाद सिंदूर क्यों लगाते हैं? Shaadi ke baad sindoor kyon lagate hain

विवाह के बाद यदि शादी-शुदा स्त्रियां मांग में सिन्दूर लगाती हैं तो उनका सौभाग्य बना रहता है और उनके सौंदर्य में भी निखार आता है। पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि सिंदूर का रंग लाल होता है जिसे प्रेम और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह भी माना जाता है कि सिंदूर से वैवाहिक रिश्ता मजबूत होता है।

पति के हाथ से सिंदूर लगाने से क्या होता है? Pati ke hath se sindoor lagane se kya hota hai

शादी के दौरान एक रस्म होती है “सिंदूर लगाना”, जब पति पत्नी की मांग भरता है तभी विवाह को सम्पन माना जाता है। पति सात बार मांग में सिन्दूर लगाता है तो वह औरत उसकी विवाहित मानी जाने लगती है तभी से एक औरत सिन्दूर लगाने लगती हैं। शास्त्रों में इस सिन्दूर को शादी के बाद महिलाओं के लिए अनिवार्य बताया गया है, इसका संबंध न केवल पति की उम्र से माना जाता है, बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ाने वाला भी माना जाता है।

गले पर सिंदूर क्यों लगाते हैं? Gale par sindoor kyon lagate hain

पूजा की शुरुआत में देवी-देवताओं को सिन्दूर या रोली का तिलक लगाया जाता है। इसके बाद गले पर तिलक लगाने से भगवान का वास हमारे कंठ में स्थापित होता है। गले पर तिलक लगाने से श्वास गति शांत होती है और शुभ होता है। धार्मिक मान्यता है कि तिलक लगाने से यश बढ़ता है, संतान सुख बढ़ता है, ज्ञान बढ़ता है और मनोबल बढ़ता है। सिन्दूर का तिलक लगाने से मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। कोई भी पूजा या अनुष्ठान सिन्दूर और तिलक के बिना पूरा नहीं माना जाता है, लेकिन तिलक के ये सभी महत्व या लाभ तभी प्राप्त होते हैं जब इसे उचित उंगली से लगाया जाता है।

सिंदूर कौन सी उंगली से लगाना चाहिए?

सिंदूर हमेशा अनामिका उंगली से लगाना चाहिए। अनामिका उंगली से सिन्दूर लगाने से मानसिक शक्ति प्रबल होती है, क्योंकि इसका संबंध सीधे सूर्य देव से होता है।

क्या पीरियड में सिंदूर लगा सकते हैं?

हिंदू मान्यता के अनुसार पीरियड्स के दौरान महिलाओं को सिन्दूर नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि शास्त्रों में सिन्दूर को बहुत शुभ माना गया है। मासिक धर्म के दौरान महिला को अपवित्र माना जाता है। इसलिए इस दौरान सिन्दूर लगाना वर्जित है। मासिक धर्म के दौरान कुछ महिलाएं सिन्दूर लगाने से परहेज करती हैं। लेकिन कुछ महिलाएं लाल वाला सिन्दूर लगाती हैं। पीला वाला सिन्दूर बाल धोने के बाद ही लगाती हैं। मासिक धर्म के समय भूलकर भी किसी विवाहित महिला को अपनी मांग में सिन्दूर नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से शादीशुदा महिला पर बुरा असर पड़ता है और दोनों के रिश्ते में दरार आ सकती है क्योंकि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अशुद्ध माना जाता है। और सिन्दूर पवित्रता का प्रतीक है इसलिए उस समय सिन्दूर नहीं लगाना चाहिए।

रात को सिंदूर लगाने से क्या होता है?

हर शादीशुदा महिला को यह पता होना चाहिए कि रात में सिन्दूर लगाना चाहिए या नहीं। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार सिन्दूर लगाने के कुछ नियम और समय बताए गए हैं। अगर शादीशुदा महिलाएं इन नियमों का पालन करती हैं और शुभ समय पर सिन्दूर लगाती हैं तो आपकी शादी पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ेगा। इसलिए हम यहां बताएंगे कि रात में सिन्दूर लगाना चाहिए या नहीं। अगर आप नियमित रूप से सोने से पहले अपने माथे पर सिन्दूर लगाती हैं तो इससे आपके घर और आपके पति के मन में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश कर जाती हैं। जिससे घर की सुख-शांति चली जाती है। रात के अलावा सूर्यास्त के समय शादीशुदा महिलाओं को भूलकर भी सिन्दूर नहीं लगाना चाहिए, नहीं तो इसका आपके जीवन पर बुरा असर पड़ेगा और आपके घर की सुख-शांति नष्ट हो जाएगी। इसके अलावा करवा चौथ की रात अगर घर में कोई पूजा है या आपको किसी शादी पार्टी में जाना है तो ऐसे समय में आप रात के समय अपनी मांग में सिन्दूर लगा सकती हैं। लेकिन इसके लिए आपको अपने माथे पर सिन्दूर अपने हाथों से नहीं बल्कि अपने पति के हाथों से लगाना होगा, इससे आपके घर में सकारात्मक शक्तियां प्रवेश करेंगी और आप दोनों के बीच प्रेम संबंध मजबूत होंगे और आपका वैवाहिक जीवन सुरक्षित रहेगा।

सिंदूर किस समय लगाना चाहिए ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाहित महिला को सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और उन्हें सिन्दूर का दान करना चाहिए और फिर उन्हें सिन्दूर का तिलक लगाना चाहिए। इसके बाद इसी तरह अपनी मांग की पूजा करके वही सिन्दूर लगाएं। ऐसा करने से माता पार्वती और माता लक्ष्मी सुहागन स्त्री को सौभाग्य का वरदान देती हैं।

सिंदूर कैसे लगाना चाहिए ?

हर सुहागन महिला को अपने मांग में सिंदूर लगाने से पहले सुबह स्नान करके भोजन बनाकर ग्रहण कर लेना चाहिए। उसके पश्चात ही अपनी मांग में सिंदूर भरना चाहिए। क्योंकि खाली पेट मांग में सिंदूर भरना शास्त्र के अनुसार अनुचित माना गया है इसीलिए आप नहाने के तुरंत बाद में मांग में सिंदूर ना लगाएं और भूखे पेट सिंदूर ना लगाएं। और सिंदूर लगाने का सबसे अच्छा तरीका अगर आपके पति घर पर है तो आप उनके हाथों से ही अपनी मांग में सिंदूर लगाएं तो इससे दोनों के बीच रिश्ता मजबूत बनता है और दोनों के अंदर एक दूसरे के प्रति सकारात्मक के सोच जागृत होती है।

लाल सिंदूर लगाने से क्या होता है?

लाल सिन्दूर शादीशुदा महिलाओं के लिए एक अनमोल गहना माना जाता है। जिसे महिला अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वस्थ जीवन के लिए अपनी मांग में भरती है और भगवान को भी अर्पित करती है। कुछ महिलाओ को लाल सिन्दूर बहुत पसंद होता है।

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FAQ Mahilayen Sindoor kyon Lagati Hain?

मांग में सिंदूर लगाते समय अगर नाक पर सिंदूर गिर जाए तो क्या होता है ?
अगर कोई स्त्री अपने मांग में सिंदूर लगाती है और अचानक से सिंदूर उसके गाल या फिर नाक पर गिर जाता है तो उसे गलती से भी साफ़ नहीं करना चाहिए। क्योंकि नाक और गाल पर सिंदूर का गिरना शुभ माना जाता है ऐसे में आप दोनों के बीच शारीरिक संबंध बनने की संभावना बढ़ जाती है और रिश्ता मजबूत बनता है।

सिंदूर को बीच माग में ही क्यों भरा जाता है ?
वेद पुराणों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बीच मांग में सिंदूर भरने से महिलाओं की खूबसूरती बढ़ती है और उसके पति पर सिंदूर का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसके अलावा बीच मांग में सिंदूर भरने से मंदिर में सिर झुकाने से भगवान सिंदूर को देखकर सदा सुहागन रहने का वरदान देते हैं।

सिंदूर को बीच माग में ही क्यों भरा जाता है ?
वेद पुराणों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बीच मांग में सिंदूर भरने से महिलाओं की खूबसूरती बढ़ती है और उसके पति पर सिंदूर का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसके अलावा बीच मांग में सिंदूर भरने से मंदिर में सिर झुकाने से भगवान सिंदूर को देखकर सदा सुहागन रहने का वरदान देते हैं।

क्या एक स्त्री दूसरी स्त्री का सिंदूर अपनी मांग में लगा सकती हैं ?
अगर कोई स्त्री अपना सिंदूर किसी दूसरी महिला को लगाने के लिए देती है तो उसके घर में आर्थिक समस्या आ जाती है और पति पत्नी के बीच में लड़ाई झगड़ा बना रहता है। इसलिए अपना सिन्दूर कभी दूसरी महिला को नहीं देना चाहिए।

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