मेरे गांव पर निबंध-स्वर्ग से सुन्दर मेरा गाँव-Mera Gaon Nibandh

कैसे लिखे मेरा गांव पर निबंध

मेरा गाँव अन्नदाता

Mera Gourav Mera Gaon 

मेरा गाँव धरती पुत्र किसान: सम्पूर्ण ब्रम्हांड में धरती की पूजा सिर्फ भारत में होती है। वसुंधरा की पूजा अर्चना सिर्फ भारत में किसानों द्वारा की जाती है, जो मिटटी को धरती माता के नाम से सम्बोधित करता है।  भूमि पूजा या पृथ्वी की पूजा अर्चना का श्रेय गांव के किसान खेतिहर मजदूर को ही दिया जाता है, जो गांव में  निवास करते हैं। मेरे गाँव का किसान अन्नदाता के रूप में जाना जाता है जो कि सम्पूर्ण पृथ्वी पर समस्त जीवों का भरण पोषण करता है।

ॐ ग्राम्य देवताभ्यो नमः
ॐ किसान देवताभ्यो नमः
ॐ अन्न देवताभ्यो नमः

मेरा गाँव अन्नपूर्णा

अन्नपूर्णा देवी: जहाँ पर गांव का किसान अन्नदाता के रूप में पूजा जाता है वही महिलाएं की पूजा अन्नपूर्णा के नाम से की जाती  है।  भारतीय परम्परा में ऐसे विश्वास किया जाता है कि ग्रामीण माताएं बहने रसोई से लेकर खेत खलिहान तक कम से कम तथा अधिक से अधिक खाद्यान्य की पूर्ति का संतुलन बनाने की कला में निपुण होती हैं। इसी लिए हमारे गावों में महिलाओं को कुल देवी, घर की लक्ष्मी, नौदुर्गा, ग्रहणी के रूप में पूजा जाता है।

जय जवान जय किसान

देश के रीढ़ हड्डी जवान और किसान:-  गाँव में जन्मे हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री ने देश के विकास के लिए ही “जय जवान जय किसान” का नारा दिया था। क्यों की किसान देश की जनता का भरण पोषण करता और देश की सरहदों की रक्षा का दाइत्व जवान पर निर्भर होता है। हामरे देश की कुल आवादी की जनसँख्या 80 प्रतिशत गावों में कृषक और खेतिहर मजदूर के रूप में निवास करती है। और देश की सुरक्षा बलों में 90 फीसदी जवान ग्रामीण अंचल से ही है जो कि किसान के ही बेटे होते हैं।

प्रदूषण मुक्त गांव एवं पर्यावरण

प्रदूषण रहित वातावरण: मेरा गांव का वातावरण हमेशा प्रदूषण से मुक्त रहा है। मेरा गांव में किसी भी प्रकार के प्रदूषित पर्यावरण जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और अन्य दूषित रहन सहन से मुक्त है। हमारे शहर में निवास करने वाले भाई बहन नागरिकों को अनेक प्रकार के प्रदूषण से गुजरना पड़ता है। पर्यावरण की दृष्टि से गाँवो की जलवायु शहरों से अच्छी है।

स्वच्छ गांव स्वच्छ भारत 

गाँव में स्वच्छता अभियान:स्वच्छता अभियान के तहत साफ सफाई में मेरा गांव अन्य पास पड़ोस के गावों से अच्छा है। मरे गांव में स्वक्षता अभियान के तहत घर घर में शौचालय का निर्माण स्वन्त्र एवं सरकारी रूप से उपलब्ध है। मेरे गांव के लिए यह गर्व का विषय है कि हमारे घर परिवार की बहू बेटियां, मतावों बहनों को अब सौच (नित्य क्रिया) के लिए बाहर खेतों में नहीं जाना पड़ता है। राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी के “स्वच्छ गांव स्वच्छ भारत” का सपना साकार हो रहा है।

मेरा गांव और प्रकृति

जैविक शुद्ध आहार: शुद्ध भोजन, स्वक्ष जल, हरियाली, हरी भरी फसल, प्रकृति पूजा, प्रदूषण रहित वातावरण, अन्नदेवता, अन्नपूर्णा,  स्वक्षता, सड़क मार्ग, पगडण्डी, शिक्षा, धार्मिक एकता, धार्मिक उत्सव, फसल, खेत खलिहान, कृषि/ घरेलू यंत्र  से लेकर पशु पक्षी, पेड़ पौधों के साथ साथ अग्नि, वायु, पृथ्वी, जल, नभ, सूरज, चाँद एवं नक्षत्रों की पूजा अर्चना हमारे गांव में होती है।

कोविद-19  और मेरा गाँव

कोविद-19 में मेरे गांव का योगदान: शुद्ध निरोग वातावरण, जब सदी की सबसे बड़ी महामारी कॅरोना (कोविद-19) पुरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिए था तो हमारा देश भी कोरोना से अछूता नहीं रहा है। सारी की सारी सरकारी एवं गैर सरकारी चिकित्सा, खाद्यान्न, परिवहन यहाँ तक की ऑक्सीजन एवं पानी तक की ब्यवस्थाये चरमरा गयी थी। ऎसी विषम परिस्थिति में भी भारतीय गाँवों का महत्व और बढ़ गया था।  शहर के लोग हजारों किलोमीटर पैदल चलकर जीवन बचाने के लिए सपरिवार गांव में शरण लिए थे। ग्रामीण लोगों ने जगह जगह पर सड़कों पर लंगर लगाकर जरुरत मंदो का विश्वास जीता है। कोविद आंकड़ों के अनुसार गांव के लोग शहरों की अपेक्षाकृत बहुत ही कम प्रभावित हुए हैं। कोविद महामारी के दौरान जहाँ शहर के लोग अपने घर में बंद थे वहीँ गांव के लोग खुलकर बिना डरे हुए बीमार लोगों की यथासंभव मदद में लगे थे।

राष्ट्रिय पर्व

मेरा गांव और राष्ट्रिय पर्व: राष्ट्रीय त्यौहार जैसे स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), गाँधी जयंती (02 ऑक्टूबर) आदि राष्ट्रीय पर्व का आयोजन गांव के विद्यालयों में बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।

मेरा गाँव  और मेला बाजार

मेरे गांव का बाजार: मेरे गांव में प्रत्येक त्यौहार पर मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमे घरेलू सामान और मनोरंजन के हर साधन उपलब्ध रहते हैं। मेरे गांव में सप्ताह में दो बार बाजार लगती है जहाँ पास पड़ोस के गाँव के लोग अपनी आवस्यकता के अनुसार सामान खरीदने आते हैं। बाजार में गृहस्थी का सब सामान उचित मूल्य पर उपलब्ध होता है।

गाँवो में मेहमान नवाजी

अतिथि सेवा सत्कार: अतिथि, मेहमान नवाजी के लिए मेरा गांव मशहूर है। जहाँ शहरों में लोगों के पास न तो समय न ही रहने के उचित व्यवस्था, वहीँ हमारे गांवों में अतिथि को देवता के रूप में माना जाता है। अतिथि चाहे एक हों या चार सबके लिए समुचित खान पान रहने की व्यवस्था करना और अतिथि की सेवा सत्कार करना गांवों की परम्परा में निहित है। अतिथ भी कभी अपने आप को पराया नहीं मानते हैं यदि खेती किसानी या अन्य कोई काम रुका हुआ है तो सब मिलजुल कर पूरा कर लेते हैं। मेरे गाँव का श्लोगन है “अतिथि देवो भव:

मेरा गांव एवं जैविक/ऑर्गनिक खेती

शुद्ध पौष्टिक ताजे फल, ताजी सब्जी तजा माँस: मेरे गांव के चौराहे पर प्रति दिन गांव के पास पड़ोस के किसान बिना कोई केमिकल के उगाई ताजी सब्जियां, डाल के पके ताजे फल, तालाब से पकड़ी फ्रेश मछली एवं गाँव में ही पले बकरे, मुर्गे, सुवर एवं अन्य ताजा मांस मन पसंद लोगों के लिए सदैव उपलब्ध रहता है।

 गुणवान, धैर्यवान और बलवान मेरा गांव

मेरे गांव की सादगी: वर्तमान में शहरों की अपेक्षा हमारे गांव का रहन सहन, पहनावा, बोलचाल, निहायत साधारण है, यहाँ दिखापन बिलकुल न के बराबर है। आजकल आधुनिकता के दौर में शहर में सामान्य जीवन संभव नहीं है।

सादा जीवन उच्च विचार: मेरा गांव सादगी, भोलापन, निश्छलता, सरलता, सादापन, सिधाई, कोरापन सादा जीवन उच्च विचार के लिए मशहूर है।

मेरा गांव और आर्थिक श्रोत

आर्थिक स्थिति: मेरे गांव की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है फिर भी ग्राम के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। किसी प्रकार की आपदा में सब लोग इकठ्ठा होकर एक दूसरे की मदद करते हैं। हमारे गांव के लोग किसी उत्सव में चाहे न पहुँच पाएं लेकिन आपत्ति/ विपत्ति के समय जरूर सहयोग के लिए सदैव तैयार रहते हैं जो की शहरों में संभव नहीं है। मेरे गांव के आर्थिक श्रोत का मुख्य जरिया खेती, किसानी, पशुपालन आदि है।

गांव का विकास एवं रोजगार

  • आजकल गांव की युवा पीढ़ी तकनीकी शिक्षा, मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की ओर अधिक आकर्षित हो रही है।
  • तकनीकी शिक्षा, शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य सेवाएं, सड़क व बिजली गांव की प्रमुख गंभीर समस्या है।
  • युवाओं के रोजगार के लिए गांव में औद्योगिक विकास की जरूरत है।
  • खेती किसानी और पशुपालन गांव के लोगों के रोजगार का मुख्य साधन है।

मेरा गांव और रीति रिवाज

रीति रिवाज: हमारे गांव में पुराने रीति रिवाज, प्रीती भोज, पूजा पाठ वैदिक एवं सनातन धर्म के अनुसार सदियों से परम्परागत  मनाया जाता है।

 गांव में मनोरंजन के साधन

मनोरंजन: खेलकूद, क्रिकेट, कबड्डी, कुस्ती, हॉकी, फूटबाल, वॉलीबाल, गुल्ली डंडा, चील्हो, झाबर, सुरपटरी, सुर्रा, लाठी, दौड़, अखाड़ा, व्यक्तिगत खेल एवं ताश (प्लेइंग कार्ड) आदि खेल मेरे गाँव में मनोरंजन के  मुख्य मनोरंजन के साधन हैं।

मेरे गांव की नौटंकी:  मेरा गांव नौटंकी नाच के लिए प्रसिध्द है।  उत्तर प्रदेश का  प्रमुख लोक नृत्य नौटकी हमारे गांव के प्रमुख मनोरंजन के साधनों में एक है। नौटकी नाटक में सब गांव के ही कलाकार होते हैं।

मेरा गांव-धार्मिक धरोहर: दुर्गा पूजा, दशहरा, नौरात्रि के अवसर पर मेरे गांव में राम लीला, रासलीला, कृष्ण लीला और अन्य नाटकों का आयोजन मनोरंजन के लिए किया जाता है जिसका उद्देश्य धार्मिक, सामाजिक, पारिवारिक सामंजस्य को बनाये रखना है। मेरा गांव आस पास के गाँवों के प्रतिस्पर्धा में प्रथम रहता है।

मेरे गांव का लोकगीत बिरहा: उत्तर प्रदेश का मशहूर लोकगीत बिरहा हमारे गांव के मनोरंजन का सदाबाहर साधन है जो की सत्रहवीं सदी से आज तक विरह वेदना को दर्शाता है।

Mera Gaon Par Nibandh

मेरा गांव पर निबंध एवं प्रश्न उत्तर

गाँव से क्या क्या लाभ हैं?

मेरा गाँव पर निबंध कैसे लिखें?

शुद्ध वातावरण कहाँ मिलता है?

शुद्ध जल कहाँ पाया जाता है।

गांव की सुंदरता का वर्णन कैसे करें?

गांव में कौन सी फसल होती है?

गाँव के विकास के लिए क्या करना चाहिए?

गांव से क्या फायदे हैं?

गांव से हमें क्या सीख मिलती है?

गांवों की क्या समस्या है?

गांव के रहन सहन पर निबंध लिखिए।

मेरा गांव मेरा देश पर निबंध।

कक्षा एक से 12 क्लास तक के विद्यार्थियों के लिए निबंध।

गांव पर निबंध कैसे लिखें?

2 Comments

  1. Sujeet

Add Comment