लोहार जाति का इतिहास-गोत्र, उत्पत्ति, वर्ण,श्रेणी, सामाजिक, राजनितिक स्थिति Lohar Jati

लोहार जाति का इतिहास: लोहार जाती का इतिहास मानव सभ्यता के विकास में परिचय का मोहताज नहीं है। पाषाण काल से लेकर आधुनिक काल तक विश्व पटल पर लोहार समुदाय का एक विशेष स्थान रहा है। प्रस्तुत लेख में हम आप को लोहार जाति का परिचय, उत्पत्ति, लोहार राजवंश, महत्वपूर्ण कार्य, सामाजिक एवं राजनितिक स्तर, लोहार जाति की जनसंख्या आदि जानकारियां का विवरण विस्तार से दिया गया है।

लोहार जाति वंशावली

लोहार जाति का गौरवशाली
वैभवशाली इतिहास
लोहार समुदाय वंशावली
लोहार जाति उत्त्पति शास्त्रों के अनुसार लोहार जाति की उत्पत्ति भगवान विश्वकर्मा एवं ऋषि मुनियों से हुयी है।
वंशलोहार वंश/ लौह वंश
लोहार जाति वंशावली लोहार जाति वंशावली में अंगिरा, विश्वकर्मा, महर्षि भृगु, देवी दिव्या, शुक्राचार्य, बृहस्पति, हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद, अप्सरा हेमा आदि लोहार वंश के पूर्वज एवं महापुरुष में प्रमुख हैं
लोहार जाति के कुल देवता लोहार वंश के कुल देवता भगवान विश्वकर्मा जी हैं।

लोहार जाति के गोत्र लोहार जाति के प्रमुख गोत्र चौहान, सोलंकी, करहेड़ा, परमार भूंड, बडगुजर, तंवर, डांगी, पटवा, जसपाल, तावड़ा, धारा, शांडिल्य, भीमरा एवं भारद्वाज आदि गोत्र मुख्य रूप से प्रचलति हैं।
लोहार वंश के कुलगुरु शुक्राचार्य एवं बृहस्पति दोनों को लोहार समाज अपना कुल गुरु मानता है
लोहार वंश कुलदेवी लोहार समाज देश के विभिन्न क्षेत्र में स्थान एवं भाषा के अनुसार हिन्दू धर्म की अनेक देवियों को अपनी कुल देवी मानकर धार्मिक अनुष्ठान एवं पूजा करते हैं।
वर्ण लोहार वर्ण के अनुसार अथर्ववेदीय विश्वब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण भी कहलाते हैं।
योनि देव / राक्षस
कर्म/कार्यमानव सभ्यता एवं चहुमुखी विकास के क्षेत्र में लोहार वंश का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पत्थर के औजार से लेकर तीर धनुष, युद्ध के औजार, मंदिर निर्माण, देवी देवताओं की कला कृतियां, कृषि उपकरण एवं आधुनिक युग में हर प्रकार के वैभवशाली उपकरणों का निर्माण शामिल है।
धर्म हिंदू लोहार: सनातन/ हिंदू
मुस्लिम लोहार: सैफी
सिख लोहार: तारखान
लोहार पूजा दिवस लोहार पूजा दिवस प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को मनाया जाता है।
सैफ़ी दिवस कब मनाया जाता है
सैफ़ी दिवस प्रत्येक वर्ष 06 अप्रैल को मनाया जाता है।
लोहार वंश के संस्थापक कौन थे ?लोहार वंश के इतिहास के अनुसार राजा संग्रामराज ने सं 1003 में इस वंश की स्थापना की थी।
लोहार राजवंश के किले का लोहारकोट्टा, कश्मीर
लोहार जाति की श्रेणी अन्य पिछड़ी जाति
लोहार जाती के राजवंश लोहार राजवंश: संग्रामराज, अनन्तदेव, कलशदेव, हर्षदेव, उच्छल , सुस्सल,
शिक्षाचर तथा जयसिंह आदि
लोहार वंश के अंतिम शासक जयसिंह इस वश का अन्तिम शासक था जिसने 1128 ईस्वी से 1155 ईस्वी तक शासन किया ।
लोहार वंश दरबारी कवि कल्हण
आजादी की लड़ाई में योगदान आजादी की लड़ाई में लोहार समाज का अंग्रेजो से लड़ने के लिए गुप्त हथियार प्रदान करने का योगदान रहा है।
सामाजिक वैवाहिक प्रथा सजातीय विवाह
लोहार जाति की विवाह प्रथा सहगोत्रीय विवाह एवं समगोत्रीय वैवाहिक प्रथा
लोहार जाति का विशेष पूजा मंदिर कहाँ है भगवन विष्णु राजलोचन मंदिर छत्तीसगढ़
लोहार जाति का कोड NA
लोहार राजवंश पतन के कारण
लोहार राजवंश के पतन के मुख्य कारण: १. कमजोर शासक २. विलाशिता ३. आतंरिक कलह ४. भष्ट्राचार ५. आपसी लड़ाई ६. आर्थिक कमजोरी ७. मुगलों का आक्रमण लोहार वशं के पतन के मुख्य कारण हैं।
राजनैतिक स्थिति जनसंख्या के आधार पर देश में लोहार जाती की राजनैतिक स्थित ठीक नहीं है। राजनितिक दृष्टि से लोहार जाति का प्रतिनिधित्व न के बराबर है।
सामाजिक स्थिति अशिक्षा, गरीबी, राजनितिक कारणों से लोहार जाति के लोगो का प्रशासनिक एवं राजनीतितिक सेवा में सहभागिता न होने के कारन इस जाती सामाजिक स्थिति अभी भी बहुत दयनीय है।
पसंदीदा भोजन लोहार समाज के लोग शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों होते हैं।
क्या लोहार विरादरी के लोग शराब का सेवन करते हैं हाँ अधिकतर मद्यपान करते हैं।
प्रसिद्ध निर्माणलोहार समाज के प्रसिद्ध निर्माण में द्वारिका नगरी, सोने की लंका, अवधपुरी, मंदिर भगवन विष्णु राजलोचन मंदिर छत्तीसगढ़, तालाब गोपी तालाब मथुरा, पुष्पक विमान, शिव धनुष, चक्र सुदर्शन आदि प्रमुख हैं ।
लोहार समाज के इतिहास की विशेष जानकारीलोहार जाति के अनेक भेद हैं, लोहार समाज के कुछ लोग अपने को ब्राह्मण कहते हैं और जनेऊ भी धारण करते हैं। कुछ लुहार राजवंश से सम्बन्ध रखने वाले समुदाय अपने आप को क्षत्रिय मानते हैं। लोहार समाज में अंतर्जातियों के नाम भी ओझा, शर्मा आदि होते हैं। प्रत्येक लोहार समाज के अंतर्जाति का खान पान और विवाह संबंध भिन्न भिन्न प्रकार का होता है एवं उनके नाम भी भिन्न होते हैं।

लोहार जाति: लोहार समुदाय इतिहास, राजवंश, उत्पत्ति, वर्ण, गोत्र, श्रेणी, सामाजिक, राजनितिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण इस लेख में निम्नलिखित रूप से दिया गया है:-

लोहार जाति की उत्पत्ति: शास्त्रों के अनुसार लोहार जाति की उत्पत्ति भगवान विश्वकर्मा एवं ऋषि मुनियों की संतान होने का गौरव प्राप्त हैं।

जाति श्रेणी

लोहार जाति की श्रेणी: लोहार जाति भारत के राजपत्र के अनुसार भारत के अधिकतर राज्य में पिछड़ी जाति के अंतर्गत आती हैं।

ऋषि मुनि आधारित गोत्र

लोहार जाति गोत्र: लोहार जाति का गोत्र ऋषि मुनियों के नाम पर आधारित होता है।

मुख्य गोत्र

लोहार जाति के मुख्य गोत्र: उत्तरी भारत में लोहार जाति के प्रमुख गोत्र चौहान, सोलंकी, करहेड़ा, परमार भूंड, बडगुजर, तंवर, डांगी, पटवा, जसपाल, तावड़ा, धारा, शांडिल्य, भीमरा एवं भारद्वाज आदि गोत्र मुख्य रूप से प्रचलति हैं।

वैवाहिक प्रथा

लोहार जाति की वैवाहिक प्रथा: लोहार समाज में शादी के अवसर पर तिलक/ फलदान/ टीका की प्रथा है कन्या अमूल्य धन माना जाता है तथा विधवा या देवर भाभी के विवाह की प्रथा नहीं के बराबर होती है।

शादी प्रथा

लोहार जाति की समगोत्रीय विवाह प्रथा: लोहार समाज के अंतर्गत सहगोत्रीय / समगोत्रीय विवाह की प्रथा है। लेकिन एक ही मूल/ कुल/ कुरी में विवाह वर्जित है।

सामाजिक-धार्मिक अनुष्ठान

लोहार जाति सामाजिक-धार्मिक अनुष्ठान और समारोह: लोहार समाज में शुभ अवसर, जन्मोत्सव, छठी, नामकरण, विवाह, पूजा पाठ एवं संस्कार के अवसर पर ब्राम्हण, नाई, धोबी, लुहार के सहयोग की प्रथा है।

रोजगार

लोहार जाति के रोजगार: लोहार समाज का वर्तमान समय में पेशा पेशेवर कृषि यन्त्र बनाना, घरेलु गृहस्थी की आवश्यकता अनुसार सामान, परंपरागत घरों के निर्माण में सहयोग जैसे खिड़की, दरवाजे बनाना, लोहारगीरी, बढ़ईगीरी, मोटर गैराज, मोर्टर पार्ट्स की दुकान, कुल्हाड़ी, दरांती, चाकू, भाला, तलवार, धनुष, तरकश, तीर कमान, लड़ाकू हथियार बनाना एवं सरकारी/ अर्धसरकारी सेवा शामिल है।

सामाजिक स्तर

लोहार जाति सामाजिक स्तर: लोहार समाज में किसी से संपर्क में संकोचन की भावना, छुआछूत और सामाजिक स्तर पर दूरी नहीं है।

लोहार जाती के जनसँख्या: देश में लोहार समुदाय की आबादी की गड़ना अभी तक नहीं हुयी है। केवल बिहार एकलौता राज्य है जहाँ जातिवार जनसँख्या की गिनती प्रगति पर है।

लोहार जाति के पर्यायवाची नाम एवं उपनाम

लोहार जाति: भारत में लोहार समुदाय को निवास स्थान, भाषा एवं कार्य शैली के आधार पर अनेक नामों एवं उप नामो से जाना जाता है जो नीचे टेबल में दर्शाया गया है :-

लोहार जाति का इतिहास, उत्पत्ति, वर्ण, गोत्र, श्रेणी, सामाजिक, राजनितिक स्थिति

History of Luhar

भारत में लोहार जाति/उपजाति को राज्य की संस्कृति, भौगोलिक स्थिति, कर्म एवं भाषा के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नाम/ उपनाम/ गोत्र/ सरनेम से जाना जाता है जो की इस प्रक्रार से हैं:-
लोहार/बढ़ई के पर्यायवाची
राज्य जाति का नाम एवं उपनाम वर्ग/श्रेणी जनसंख्या/ आबादी Lohar caste population
आसाम/Assam लोहार, बढ़ई, कर्मकार, विश्वकर्माअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
आंध्र प्रदेश लोहार वंश की जातियां विश्वब्राह्मण, लोहार, आचार्य, चारी और आचार्यअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
बंगाललोहार वंश की जातियां लोहार, कर्मकार, राउत, मांझी, दंडमाझी, दलुई, सुतारअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
बिहार लोहार वंश की जातियां लोहार, बढ़ई, शर्मा, विश्वकर्मा और ठाकुरअन्य पिछड़ा जाति/ OBC30 लाख लगभग
जम्मू और कश्मीरलोहार, वर्मा, तारखान, मिस्त्रीअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
दिल्लीलोहार, बढ़ई, पांचालअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
हरियाणा लोहार, बढ़ई, धालवाल, तंवर, पंवार, सोलंकी, चौहान, दांगी, करहेरा, धर्रा , भावरा, सिवाल, पांचाल, भारद्वाज, पिटलेहरा अन्य पिछड़ा जाति/ OBC
हिमाचल प्रदेशहिमाचल प्रदेश में तारखान और लोहार की दो जातियां पाई जाती हैं। सिख लोहार जाति को तारखान के नाम से जाना जाता है। जहां लोहार जाति को एससी में शामिल किया गया है, वहीं तारखान जाति को ओबीसी सूची में रखा गया है। सभी सामाजिक और वैवाहिक उद्देश्यों के लिए दो जातियाँ समान हैं।अन्य पिछड़ा जाति/ OBC
झारखंडलोहार, बढ़ई विश्वकर्मा अन्य पिछड़ा जाति/ OBC
कर्नाटकलोहार, कम्मारा, अचारी, कंबारअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
केरल लोहार वंश की जातियां लोहार, अचारी, विश्वकर्मा, अशरी, पंजालअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
महाराष्ट्र लोहार वंश की जातियां लोहार, सूर्यवंशी, काले, धारकर, चव्हाण, पवार, पन्हालकर, यांडे, बोरकर, घोटेकर, मानेकर, धुरटकर, नगारे, थोराट, इंगले, डांगरे, उपांकर, माने, इघे, कोशे, वाघोडेकर, कुंबारे, पनवलकर, ढोले, पाखले। कोंकण क्षेत्र में शेमाडकर, कटलकर, गुलेकर, शिरवनकर, घडी, मसुरकर, चापेकर, मसुरकर, पोमेंडकर, घिसडी लोहार, गाड़ी लोहार, घिटोडी लोहार, राजपूत लोहार, चितोड़िया लोहार अन्य पिछड़ा जाति/ OBC
मध्य प्रदेश लुहार, लोहपीटा, हुंगा, लोहपटा, गलोड़ा, लोहार (विश्वकर्मा) अन्य पिछड़ा जाति/ OBC
छत्तीसगढ़लुहार, नागौरी लुहार, सैफी, मुल्तानी लुहार अन्य पिछड़ा जाति/ OBC
गुजरातलोहार, पांचाल, मकवाना, पित्रोदा, चित्रौदा, परमार, पिठवा, सुथार, मिस्त्री, गोहिल।अन्य पिछड़ा जाति/ OBC
नेपाल लोहार, विश्वकर्मा (जाति)अन्य पिछड़ा जाति/ OBC
उड़ीसा लोहार, बढ़ई मोहराना, महापात्रा, सुतार, साहू, परिदाअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
पंजाब लोहार, बढ़ई, सैफी, वर्मा, तारखान, मिस्त्रीअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
राजस्थान लोहार, बढ़ई, मिस्त्री, पांचाल, सुथारअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
तमिलनाडुलोहार, विश्वब्राह्मण, कमलार, अचारी या आसारीअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
उत्तर प्रदेश लोहार, बढ़ई, विश्वकर्मा, शर्मा सैफी और ठाकुरअन्य पिछड़ा जाति/ OBC60 लाख लगभग
उत्तराखण्ड लोहार,बढ़ई, सैफी, लुहार वर्मा, मिस्त्रीअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
नागालैंड सर्वश्रेष्ठ नागा लोहारअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
मेघालय लोहार, कर्मकार, विश्वकर्माअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
मणिपुरलोहार, कर्मकार, विश्वकर्माअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
मजोरमलोहार, कर्मकार, विश्वकर्माअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
त्रिपुरालोहार, कर्मकार, विश्वकर्माअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
अरुणाचल प्रदेश लोहार, कर्मकार, विश्वकर्माअन्य पिछड़ा जाति/ OBC
Lohar Caste Govt Letter Notification Click Here
Lohar jati youtubelohar jatee wikipedia

History of Lohar Caste Govt Notification  

लोहार वंश के इतिहास सम्बन्धी प्रश्न उत्तर

लोहार जाति की उत्पत्ति कब और कैसे हुई ?

लोहार वंश की उत्पत्ति भगवान विश्वकर्मा से हुयी है।

लोहार वंश का क्या इतिहास है?

लोहार वंश के गौरवशाली इतिहास का सम्बन्ध मानव सभ्यता में पाषाण काल से आधुनिक काल तक अद्भुत एवं अनोखा रहा है।

लोहार जाति किस श्रेणी में आती है?

लोहार जाति OBC श्रेणी में आती है।

लोहार जाती के मुख्य कार्य क्या हैं?

लोहार वंश का मुख्य कार्य लोहा, लकड़ी से लेकर कलकारखनो तक फैला है।

लोहार वंश के संस्थापक कौन हैं ?

राजा संग्रामराज को का लोहार जाति का संस्थापक माना जाता है।

लोहार वंश की स्थापना कब हुई थी?

लोहार वंश की स्थापना 1003-1028 ईस्वी में हुयी थी।

लोहार वंश का स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान रहा है?

स्वतंत्रता संग्राम में लोहार जाती बहुत बड़ा योगदान रहा है।

लोहार वंश के कुल देवी कौन हैं?

लोहार जाति की अनेक कुल देवियां हैं.

लोहार जाति के कुल देवता कौन हैं?

लोहार वंश के कुल देवता विश्वकर्मा जी है।

लोहार वंश के कुलगुरु कौन हैं ?

लोहार जाती के कुल गुरु शुक्राचार्य जी हैं।

लोहार वंश के कौन कौन से गोत्र हैं?

Lohar Jati ke Gotra: चौहान, सोलंकी, करहेड़ा, परमार भूंड, बडगुजर, तंवर, डांगी, पटवा, जसपाल, तावड़ा, धारा, शांडिल्य, भीमरा एवं भारद्वाज आदि लोहार वंश के से गोत्र हैं।

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  2. Mathur
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  20. तिवारी
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  21. तिवारी
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  22. तिवारी
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  23. तिवारी
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  24. सिवा
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  25. Panchal CL
  26. Anonymous
  27. Vishwkarma brahaman jeetendra
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  28. Satybabu
    • S. N. Yadav

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