चित्रगुप्त की जीवनी
चित्रगुप्त जीवन परिचय: चित्रगुप्त जन्म, चंत्रगुप्त वंशावली, नाम, उपनाम, जाति, निवास, कार्य, पिता, माता, परिवार, भाई, बहन, पत्नियां, पुत्र, चित्रगुप्त की पूजा कथा से समस्त पाप कर्मो से छुटकारा प्राप्त करके स्वर्ग लोक की प्राप्त के उपाय।
चित्रगुप्त कर्मो का लेखा जोखा
चित्रगुप्त की गुप्त लेखनी: जीवात्मा के मन में अनेक प्रकार के विचारों का जन्म होता है। सभी कल्पना, इच्छा, विचार, मन तरंग किसी न किसी चित्र अथवा तस्वीर पर ही आधारित होती हैं। बिना आधार के किसी भी प्रकार के मन के विचार संभव नहीं है। मनुष्य के चित्त में भिन्न भिन्न भाँति के अच्छे, बुरे, सकारात्मक, नकारात्मक विचारों का क्रम निरंतर चलता रहता है एवं सभी कल्पनाएं के स्तम्भ कोई न कोई चित्र या तस्वीर ही आधारित होते हैं। इन्ही चित्रों के आधारित रुपरेखा के कर्मो पर भगवन चित्रगुप्त की गुप्त नजर कैमरा काम करता है।
Chitragupta Biography in Hindi
Chitra Gupta Ka Itihas
चित्रगुप्त जीवन परिचय/बायोग्राफी | चित्रगुप्त गुप्त रहस्य जानकारी |
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चित्रगुप्त कौन हैं? | 1. चित्रगुप्त जन्म और मृत्यु के देवता हैं। 2. चित्रगुप्त जगत के प्रथम लेखापाल हैं। |
नाम | चित्रगुप्त |
चित्रगुप्त नामकरण | काया/कायस्थ |
चित्रगुप्त का उपनाम | महाकाल, दंडदाता, न्याय ब्रम्ह, धर्माधिकारी |
चित्रगुप्त का जन्म दिन | कार्तिक माह शुक्ल पक्ष द्वतीया तिथि |
चित्रगुप्त का जन्म स्थान | ब्रम्ह्लोक |
चित्रगुप्त के पिता का नाम | ब्रम्हा |
चित्रगुप्त की उत्पत्ति | ब्रम्हकाया |
चित्रगुप्त का कुल | कायस्थ |
चित्रगुप्त की माता का नाम | चित्रगुप्त का जन्म माता से नहीं हुआ। ब्रम्हा जी ने अपनी काया से उत्पन्न किया है |
चित्रगुप्त की जाति | कायस्थ/ देव पुत्र |
चित्रगुप्त की धर्म माता | सरस्वती |
चित्रगुप्त का वर्ण | नील वर्ण |
चित्रगुप्त के भाई | 1 . मारीच अत्रि अंगिरस पुलस्त्य पुलह कृतु भृगु वशिष्ठ दक्ष कंदर्भ नारद सनक, सनन्दन सनातन सनतकुमार मनु एवं चित्रगुप्त |
चित्रगुप्त की बहन | सतरूपा एवं चित्रा |
चित्रगुप्त की राशि | मीन |
चित्रगुप्त का धर्म | सनातन |
धर्म सम्बन्ध | हिन्दू सनातन देवता |
कुछ मतों के अनुसार | |
चित्रगुप्त के पिता का नाम | मित्त |
चित्रगुप्त की माता का नाम | ज्ञात नहीं |
बहन | चित्रा |
चित्रगुप्त की प्रवित्ति | भावुक एवं दयालु प्रवित्ति |
चित्रगुप्त की कार्य शैली | न्यायप्रिय एवं उदार |
भगवान चित्रगुप्त जी पद | सृष्टि के प्रथम न्यायाधीश चित्रगुप्त ही हैं। सृष्टि नियम के अनुसार प्राणियों को लोक परलोक, स्वर्ग, नर्क, जीवन, मरण एवं पुनर्जन्म के निर्णय लेने का अधिकार चित्रगुप्त जी को ही ब्रम्हा द्वारा सौपा गया है। |
चित्रगुप्त के बहीखाता का नाम | अग्रसंधानी (हर जीव के पाप पुण्य कर्म का लेखा जोखा) |
कर्म दंडाधिकारी | शनिदेव |
चित्रगुप्त का मतलब | चित्रगुप्त का मतलब भाग्य का भगवन गुप्त चित्र है |
चित्रगुप्त का गृहस्वामी | बृहस्पति |
चित्रगुप्त का शुभ अंक | 3 |
चित्रगुप्त का ज्योतिष अंक | 6 |
चित्रगुप्त का कर्म का आधार | नियम, सिध्दांत एवं अनुशाशन प्रिय कार्य शैली |
चित्रगुप्त का स्वभाव | हठीला |
चित्रगुप्त के सहयोगी | यमराज |
चित्रगुप्त के विशेष कार्य | प्राणियों के पाप एवं पुण्य कर्मो के हिसाब किताब रखने एवं अच्छे, बुरे कर्म के अनुसार मनुष्य को स्वर्ग अथवा नर्क भोगने के निर्णय में चित्रगुप्त को यमराज का विशेष सहयोग करना। |
चित्रगुप्त कार्य स्थल | यमपुरी |
चित्रगुप्त का निवास स्थान | चित्रलोक/ संपमनी/ यमलोक |
सचित्रगुप्त वंशावली | |
चित्रगुप्त के जन्म दाता | ब्रम्हा |
चित्रगुप्त की पत्नी | 1. एरावती/शोभावति पुत्री ऋषि सुशर्मा |
2. सूर्यदक्षिणा/नंदनी मनु महाराज की पुत्री | |
चित्रगुप्त के पुत्र | चित्रगुप्त के 12 पुत्र के नाम: चित्रगुप्त के पुत्रों के नाम इस प्रकार हैं:- सूर्यदक्षिणा/नंदनी द्वारा जन्मे चार पुत्र भानू, विभानू, विश्वभानू और वीर्यभानू। एरावती/शोभावति द्वारा जन्मे 8 पुत्र चारु, सुचारु, चित्र, मतिमान एवं , हिमवान, चित्रचारु अरुण, अतीन्द्रिय, भानु, विभानु, विश्वभानु और वीर्य्यावान। |
चित्रगुप्त की विशेषता | चित्रगुप्त की विशेषताएं: जीवों के कर्मो का शीघ्रकारी, धार्मिक, न्यायकर्ता, बुद्धिमान, कर्म लेख में अग्रणी, चमत्कारी, तपस्वी, ब्रह्मनिष्ठ और वेद, पुराण तथा शास्त्रों के ज्ञाता हैं। |
चित्रगुप्त के कार्य | प्राणियों के चित्त/मन में चित्र आधारित कल्पना मात्र के कर्म का लेखा जोखा। |
चित्रगुप्त के अस्त्र सस्त्र हथियार | लेखनी/ कलम, दवात, कर्म बहीखाता एवं तलवार |
चित्रगुप्त जयंती | कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वतीया तिथि |
चित्रगुप्त पूजन दिवस | कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वतीया तिथि |
चित्रगुप्त को प्रसन्न करने का मंत्र | *ॐ यमाय धर्मराजाय श्री चित्रगुप्ताय वै नमः* चित्रगुप्त नमस्तुभ्याम वेदाक्सरदत्रे |
चित्रगुप्त प्रकटोत्सव तिथि | चित्रगुप्त प्रकटोत्सव कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वतीया तिथि |
चित्रगुप्त को अधिक | चित्रगुप्त कायस्थ के ईष्ट देवता माने जाते हैं |
चित्र गुप्त/यमराज की पूजा से लाभ | कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वतीया तिथि को यमराज एवं चित्रगुप्त की विधिवत पूजा से तथा अपने बुरे कर्मों के लिए क्षमा मांगने से नर्क जाने से मुक्ति मिलती है और प्राणियों को जन्म मृत्यु के जंजाल से मुक्ति मिलती है। |
सूचना सूत्र | विभिन्न लेखों का संकलन एवं विकिपीडिया |
चित्रगुप्त सुविचार: सही और गलत का फैसला तो अन्तरात्मा कर ही लेती है, “चित्रगुप्त लिखें या न लिखें हम अपना भाग्य अपने कर्म से जरूर लिखते हैं। चित्रगुप्त की नजरों में अच्छा बनने से पहले स्वयं की नजरों में अच्छा होना जरुरी है, ताकि हम स्वयं से नजरें मिला सकें।”
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा “कायस्थ स्मारिका दर्पण”: वेद, पुराण, शास्त्रों के अनुसार चित्रगुप्त का सम्पूर्ण इतिहास एवं चन्द्रगुप्त कथा – पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
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चित्रगुप्त बायोग्राफी हिंदी में
“निराधार मन कित कित धावै”
चित्र + गुप्त = चित्रगुप्त अर्थात चित्त की मनोदशा में आने वाले चित्र आधारित विचारों के रुपरेखा की विवेचना करके कर्मो के लिखित संग्रह का दस्तावेज तैयार करना ही चित्रगुप्त है।
चित्रगुप्त का इतिहास
चित्रगुप्त का अर्थ: चित्रगुप्त का मतलब भाग्य विधाता, कर्मफल दाता, गुप्त चित्र दर्शक, कर्म लेखक, दण्डाधिकारी, भगवान चित्रगुप्ता, कायस्थ देव देव, कायस्थ कुल देवता आदि नाम से भगवान चित्रगुप्त माने जाते हैं।
चित्रगुप्त का आवाहन मंत्र
*ॐ यमाय धर्मराजाय श्री चित्रगुप्ताय वै नमः*
चित्रगुप्त पूजा फल: कार्तिक माह शुक्ल पक्ष द्वतीया तिथि को चित्रगुप्त की विधिवत पूजा मात्र से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है एवं जीवात्मा स्वर्गलोक का अधिकारी हो जाता है।
चित्रगुप्त कार्यक्षेत्र: आवश्यकता का जन्म: मनुष्य का मन कल्पना का सागर है। कल्पना की तरंग से इच्छा का जन्म होता है और इच्छाओं की पूर्ति के लिए आवश्यकता का आविष्कार होता है। आवश्यकता की पूर्ति के लिए कर्म आवश्यक है। हम कह सकते हैं की कल्पना इच्छा की जननी, इच्छा आवश्यकता की जननी और जरुरत/ आवश्यकता कर्म की जननी होती है। कल्पना/ इच्छा/ आवश्यकता का जन्म कर्म के अनुसार ही होता है जिसका लेखा जोखा चित्रगुप्त के पास रहता है।
चित्रगुप्त की कथा
चित्रपट/ तीसरी आँख चित्रगुप्त: हिन्दू धर्म/ सनातन धर्म के वेद, पुराण एवं शास्त्रों में बताया गया है कि हम कोई भी उचित अथवा अनुचित कार्य छुपकर या खुले आम करते हैं तो कोई न कोई देखता रहता है जिसमे सर्वप्रथम हमारी आत्मा है और दूसरा भगवान जिसे हम सब तीसरी आँख कहते हैं। इसी तीसरे नेत्र को चित्रगुप्त के रूप में जाना जाता है।
कर्म के प्रकार: कर्म मख्यतः दो प्रकार के होते हैं:-
(क) सुकर्म
(ख) दुष्कर्म
Chitragupt ki Kahani
चित्रगुप्त के कार्य: चित्र पर आधारित किसी भी इच्छा, कल्पना, आवश्यकता अथवा कर्म को गुप्त रूप से रिकॉर्ड करके जीवात्मा का हिसाब किताब रखना ही चित्र गुप्त का कार्य है।
चित्रपट
चित्रगुप्त पूजा फल: कार्तिक माह शुक्ल पक्ष द्वतीया तिथि को चित्रगुप्त की विधिवत पूजा मात्र से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है एवं जीवात्मा स्वर्गलोक का अधिकारी हो जाता है।
चित्रगुप्त के बारे में प्रश्न एवं उत्तर
चित्रगुप्त कौन हैं?
चित्रगुप्त ब्रह्मा जी के चौदहवें देव पुत्र हैं।
चित्र गुप्त का जन्म कैसे हुआ है?
चित्रगुप्त का जन्म ब्रम्हा की शरीर से हुआ है।
चित्रगुप्त के पिता कौन हैं?
चित्रगुप्त के पिता स्वंय ब्रम्हा जी हैं।
चित्रगुप्त का जन्म कब हुआ था?
चित्रगुप्त का जन्म कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वतीया तिथि को हुआ था।
चित्रगुप्त की माँ का क्या नाम है?
चित्रगुप्त का जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ है।
चित्रगुप्त कितने भाई हैं?
चित्रगुप्त के 17 भाई हैं।
चित्र गुप्त की बहन का क्या नाम यही?
चित्रगुप्त की बहन का नाम सतरूपा एवं सरस्वती है।
चित्रगुप्त की जाति क्या है?
चित्रगुप्त कायस्थ कुल के हैं।
चित्रगुप्त का धर्म क्या है?
चित्रगुप्त की कितनी पत्नियां हैं?
चित्रगुप्त की दो पत्नियां हैं।
चित्रगुप्त की पत्नी का नाम क्या है?
चित्र गुप्त की पत्नी का नाम एरावती या शोभावति और सूर्यदक्षिणा या नंदनी है।
चित्रगुप्त का धर्म सनातन धर्म है।
चित्र गुप्त के कितने पुत्र हैं?
चित्रगुप्त के 12 पुत्र हैं।
चित्रगुप्त की पूजा क्यों की जाती है?
चित्रगुप्त की पूजा से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है और जीव स्वर्ग का अधिकारी हो जाता है।
चित्रगुप्त के बहीखाते का क्या नाम है?
चित्रगुप्त की किताब का नाम अग्रसंधानी है।
पाप पुण्य कर्म के लेखा जोखा का रिकॉर्ड कहाँ होता है?
पाप पुण्य के सभी कर्मो को गुप्त रूप से अग्रसंधानी में रखा जाता है।
चित्रगुप्त के पूजा की विधि क्या है?
चित्रगुप्त जयंती कब मनाई जाती है?
चित्रगुप्त जयंती कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में द्वतीया तिथि को मनाई जाती है।