लोहार जाति का इतिहास: लोहार जाती का इतिहास मानव सभ्यता के विकास में परिचय का मोहताज नहीं है। पाषाण काल से लेकर आधुनिक काल तक विश्व पटल पर लोहार समुदाय का एक विशेष स्थान रहा है। प्रस्तुत लेख में हम आप को लोहार जाति का परिचय, उत्पत्ति, लोहार राजवंश, महत्वपूर्ण कार्य, सामाजिक एवं राजनितिक स्तर, लोहार जाति की जनसंख्या आदि जानकारियां का विवरण विस्तार से दिया गया है।
लोहार जाति वंशावली
लोहार जाति का गौरवशाली वैभवशाली इतिहास | लोहार समुदाय वंशावली |
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लोहार जाति उत्त्पति | शास्त्रों के अनुसार लोहार जाति की उत्पत्ति भगवान विश्वकर्मा एवं ऋषि मुनियों से हुयी है। |
वंश | लोहार वंश/ लौह वंश |
लोहार जाति वंशावली | लोहार जाति वंशावली में अंगिरा, विश्वकर्मा, महर्षि भृगु, देवी दिव्या, शुक्राचार्य, बृहस्पति, हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद, अप्सरा हेमा आदि लोहार वंश के पूर्वज एवं महापुरुष में प्रमुख हैं |
लोहार जाति के कुल देवता | लोहार वंश के कुल देवता भगवान विश्वकर्मा जी हैं। |
लोहार जाति के गोत्र | लोहार जाति के प्रमुख गोत्र चौहान, सोलंकी, करहेड़ा, परमार भूंड, बडगुजर, तंवर, डांगी, पटवा, जसपाल, तावड़ा, धारा, शांडिल्य, भीमरा एवं भारद्वाज आदि गोत्र मुख्य रूप से प्रचलति हैं। |
लोहार वंश के कुलगुरु | शुक्राचार्य एवं बृहस्पति दोनों को लोहार समाज अपना कुल गुरु मानता है |
लोहार वंश कुलदेवी | लोहार समाज देश के विभिन्न क्षेत्र में स्थान एवं भाषा के अनुसार हिन्दू धर्म की अनेक देवियों को अपनी कुल देवी मानकर धार्मिक अनुष्ठान एवं पूजा करते हैं। |
वर्ण | लोहार वर्ण के अनुसार अथर्ववेदीय विश्वब्राह्मण, पांचाल ब्राह्मण भी कहलाते हैं। |
योनि | देव / राक्षस |
कर्म/कार्य | मानव सभ्यता एवं चहुमुखी विकास के क्षेत्र में लोहार वंश का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पत्थर के औजार से लेकर तीर धनुष, युद्ध के औजार, मंदिर निर्माण, देवी देवताओं की कला कृतियां, कृषि उपकरण एवं आधुनिक युग में हर प्रकार के वैभवशाली उपकरणों का निर्माण शामिल है। |
धर्म | हिंदू लोहार: सनातन/ हिंदू मुस्लिम लोहार: सैफी सिख लोहार: तारखान |
लोहार पूजा दिवस | लोहार पूजा दिवस प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को मनाया जाता है। |
सैफ़ी दिवस कब मनाया जाता है | सैफ़ी दिवस प्रत्येक वर्ष 06 अप्रैल को मनाया जाता है। |
लोहार वंश के संस्थापक कौन थे ? | लोहार वंश के इतिहास के अनुसार राजा संग्रामराज ने सं 1003 में इस वंश की स्थापना की थी। |
लोहार राजवंश के किले का | लोहारकोट्टा, कश्मीर |
लोहार जाति की श्रेणी | अन्य पिछड़ी जाति |
लोहार जाती के राजवंश | लोहार राजवंश: संग्रामराज, अनन्तदेव, कलशदेव, हर्षदेव, उच्छल , सुस्सल, शिक्षाचर तथा जयसिंह आदि |
लोहार वंश के अंतिम शासक | जयसिंह इस वश का अन्तिम शासक था जिसने 1128 ईस्वी से 1155 ईस्वी तक शासन किया । |
लोहार वंश दरबारी कवि | कल्हण |
आजादी की लड़ाई में योगदान | आजादी की लड़ाई में लोहार समाज का अंग्रेजो से लड़ने के लिए गुप्त हथियार प्रदान करने का योगदान रहा है। |
सामाजिक वैवाहिक प्रथा | सजातीय विवाह |
लोहार जाति की विवाह प्रथा | सहगोत्रीय विवाह एवं समगोत्रीय वैवाहिक प्रथा |
लोहार जाति का विशेष पूजा मंदिर कहाँ है | भगवन विष्णु राजलोचन मंदिर छत्तीसगढ़ |
लोहार जाति का कोड | NA |
लोहार राजवंश पतन के कारण | लोहार राजवंश के पतन के मुख्य कारण: १. कमजोर शासक २. विलाशिता ३. आतंरिक कलह ४. भष्ट्राचार ५. आपसी लड़ाई ६. आर्थिक कमजोरी ७. मुगलों का आक्रमण लोहार वशं के पतन के मुख्य कारण हैं। |
राजनैतिक स्थिति | जनसंख्या के आधार पर देश में लोहार जाती की राजनैतिक स्थित ठीक नहीं है। राजनितिक दृष्टि से लोहार जाति का प्रतिनिधित्व न के बराबर है। |
सामाजिक स्थिति | अशिक्षा, गरीबी, राजनितिक कारणों से लोहार जाति के लोगो का प्रशासनिक एवं राजनीतितिक सेवा में सहभागिता न होने के कारन इस जाती सामाजिक स्थिति अभी भी बहुत दयनीय है। |
पसंदीदा भोजन | लोहार समाज के लोग शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों होते हैं। |
क्या लोहार विरादरी के लोग शराब का सेवन करते हैं | हाँ अधिकतर मद्यपान करते हैं। |
प्रसिद्ध निर्माण | लोहार समाज के प्रसिद्ध निर्माण में द्वारिका नगरी, सोने की लंका, अवधपुरी, मंदिर भगवन विष्णु राजलोचन मंदिर छत्तीसगढ़, तालाब गोपी तालाब मथुरा, पुष्पक विमान, शिव धनुष, चक्र सुदर्शन आदि प्रमुख हैं । |
लोहार समाज के इतिहास की विशेष जानकारी | लोहार जाति के अनेक भेद हैं, लोहार समाज के कुछ लोग अपने को ब्राह्मण कहते हैं और जनेऊ भी धारण करते हैं। कुछ लुहार राजवंश से सम्बन्ध रखने वाले समुदाय अपने आप को क्षत्रिय मानते हैं। लोहार समाज में अंतर्जातियों के नाम भी ओझा, शर्मा आदि होते हैं। प्रत्येक लोहार समाज के अंतर्जाति का खान पान और विवाह संबंध भिन्न भिन्न प्रकार का होता है एवं उनके नाम भी भिन्न होते हैं। |
लोहार जाति: लोहार समुदाय इतिहास, राजवंश, उत्पत्ति, वर्ण, गोत्र, श्रेणी, सामाजिक, राजनितिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण इस लेख में निम्नलिखित रूप से दिया गया है:-
लोहार जाति की उत्पत्ति: शास्त्रों के अनुसार लोहार जाति की उत्पत्ति भगवान विश्वकर्मा एवं ऋषि मुनियों की संतान होने का गौरव प्राप्त हैं।
जाति श्रेणी
लोहार जाति की श्रेणी: लोहार जाति भारत के राजपत्र के अनुसार भारत के अधिकतर राज्य में पिछड़ी जाति के अंतर्गत आती हैं।
ऋषि मुनि आधारित गोत्र
लोहार जाति गोत्र: लोहार जाति का गोत्र ऋषि मुनियों के नाम पर आधारित होता है।
मुख्य गोत्र
लोहार जाति के मुख्य गोत्र: उत्तरी भारत में लोहार जाति के प्रमुख गोत्र चौहान, सोलंकी, करहेड़ा, परमार भूंड, बडगुजर, तंवर, डांगी, पटवा, जसपाल, तावड़ा, धारा, शांडिल्य, भीमरा एवं भारद्वाज आदि गोत्र मुख्य रूप से प्रचलति हैं।
वैवाहिक प्रथा
लोहार जाति की वैवाहिक प्रथा: लोहार समाज में शादी के अवसर पर तिलक/ फलदान/ टीका की प्रथा है कन्या अमूल्य धन माना जाता है तथा विधवा या देवर भाभी के विवाह की प्रथा नहीं के बराबर होती है।
शादी प्रथा
लोहार जाति की समगोत्रीय विवाह प्रथा: लोहार समाज के अंतर्गत सहगोत्रीय / समगोत्रीय विवाह की प्रथा है। लेकिन एक ही मूल/ कुल/ कुरी में विवाह वर्जित है।
सामाजिक-धार्मिक अनुष्ठान
लोहार जाति सामाजिक-धार्मिक अनुष्ठान और समारोह: लोहार समाज में शुभ अवसर, जन्मोत्सव, छठी, नामकरण, विवाह, पूजा पाठ एवं संस्कार के अवसर पर ब्राम्हण, नाई, धोबी, लुहार के सहयोग की प्रथा है।
रोजगार
लोहार जाति के रोजगार: लोहार समाज का वर्तमान समय में पेशा पेशेवर कृषि यन्त्र बनाना, घरेलु गृहस्थी की आवश्यकता अनुसार सामान, परंपरागत घरों के निर्माण में सहयोग जैसे खिड़की, दरवाजे बनाना, लोहारगीरी, बढ़ईगीरी, मोटर गैराज, मोर्टर पार्ट्स की दुकान, कुल्हाड़ी, दरांती, चाकू, भाला, तलवार, धनुष, तरकश, तीर कमान, लड़ाकू हथियार बनाना एवं सरकारी/ अर्धसरकारी सेवा शामिल है।
सामाजिक स्तर
लोहार जाति सामाजिक स्तर: लोहार समाज में किसी से संपर्क में संकोचन की भावना, छुआछूत और सामाजिक स्तर पर दूरी नहीं है।
लोहार जाती के जनसँख्या: देश में लोहार समुदाय की आबादी की गड़ना अभी तक नहीं हुयी है। केवल बिहार एकलौता राज्य है जहाँ जातिवार जनसँख्या की गिनती प्रगति पर है।
लोहार जाति के पर्यायवाची नाम एवं उपनाम
लोहार जाति: भारत में लोहार समुदाय को निवास स्थान, भाषा एवं कार्य शैली के आधार पर अनेक नामों एवं उप नामो से जाना जाता है जो नीचे टेबल में दर्शाया गया है :-
लोहार जाति का इतिहास, उत्पत्ति, वर्ण, गोत्र, श्रेणी, सामाजिक, राजनितिक स्थिति
History of Luhar
भारत में लोहार जाति/उपजाति को राज्य की संस्कृति, भौगोलिक स्थिति, कर्म एवं भाषा के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नाम/ उपनाम/ गोत्र/ सरनेम से जाना जाता है जो की इस प्रक्रार से हैं:- | |||
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लोहार/बढ़ई के पर्यायवाची | |||
राज्य | जाति का नाम एवं उपनाम | वर्ग/श्रेणी | जनसंख्या/ आबादी Lohar caste population |
आसाम/Assam | लोहार, बढ़ई, कर्मकार, विश्वकर्मा | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
आंध्र प्रदेश लोहार वंश की जातियां | विश्वब्राह्मण, लोहार, आचार्य, चारी और आचार्य | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
बंगाललोहार वंश की जातियां | लोहार, कर्मकार, राउत, मांझी, दंडमाझी, दलुई, सुतार | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
बिहार लोहार वंश की जातियां | लोहार, बढ़ई, शर्मा, विश्वकर्मा और ठाकुर | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | 30 लाख लगभग |
जम्मू और कश्मीर | लोहार, वर्मा, तारखान, मिस्त्री | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
दिल्ली | लोहार, बढ़ई, पांचाल | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
हरियाणा | लोहार, बढ़ई, धालवाल, तंवर, पंवार, सोलंकी, चौहान, दांगी, करहेरा, धर्रा , भावरा, सिवाल, पांचाल, भारद्वाज, पिटलेहरा | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
हिमाचल प्रदेश | हिमाचल प्रदेश में तारखान और लोहार की दो जातियां पाई जाती हैं। सिख लोहार जाति को तारखान के नाम से जाना जाता है। जहां लोहार जाति को एससी में शामिल किया गया है, वहीं तारखान जाति को ओबीसी सूची में रखा गया है। सभी सामाजिक और वैवाहिक उद्देश्यों के लिए दो जातियाँ समान हैं। | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
झारखंड | लोहार, बढ़ई विश्वकर्मा | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
कर्नाटक | लोहार, कम्मारा, अचारी, कंबार | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
केरल लोहार वंश की जातियां | लोहार, अचारी, विश्वकर्मा, अशरी, पंजाल | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
महाराष्ट्र लोहार वंश की जातियां | लोहार, सूर्यवंशी, काले, धारकर, चव्हाण, पवार, पन्हालकर, यांडे, बोरकर, घोटेकर, मानेकर, धुरटकर, नगारे, थोराट, इंगले, डांगरे, उपांकर, माने, इघे, कोशे, वाघोडेकर, कुंबारे, पनवलकर, ढोले, पाखले। कोंकण क्षेत्र में शेमाडकर, कटलकर, गुलेकर, शिरवनकर, घडी, मसुरकर, चापेकर, मसुरकर, पोमेंडकर, घिसडी लोहार, गाड़ी लोहार, घिटोडी लोहार, राजपूत लोहार, चितोड़िया लोहार | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
मध्य प्रदेश | लुहार, लोहपीटा, हुंगा, लोहपटा, गलोड़ा, लोहार (विश्वकर्मा) | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
छत्तीसगढ़ | लुहार, नागौरी लुहार, सैफी, मुल्तानी लुहार | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
गुजरात | लोहार, पांचाल, मकवाना, पित्रोदा, चित्रौदा, परमार, पिठवा, सुथार, मिस्त्री, गोहिल। | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
नेपाल | लोहार, विश्वकर्मा (जाति) | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
उड़ीसा | लोहार, बढ़ई मोहराना, महापात्रा, सुतार, साहू, परिदा | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
पंजाब | लोहार, बढ़ई, सैफी, वर्मा, तारखान, मिस्त्री | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
राजस्थान | लोहार, बढ़ई, मिस्त्री, पांचाल, सुथार | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
तमिलनाडु | लोहार, विश्वब्राह्मण, कमलार, अचारी या आसारी | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
उत्तर प्रदेश | लोहार, बढ़ई, विश्वकर्मा, शर्मा सैफी और ठाकुर | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | 60 लाख लगभग |
उत्तराखण्ड | लोहार,बढ़ई, सैफी, लुहार वर्मा, मिस्त्री | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
नागालैंड | सर्वश्रेष्ठ नागा लोहार | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
मेघालय | लोहार, कर्मकार, विश्वकर्मा | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
मणिपुर | लोहार, कर्मकार, विश्वकर्मा | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
मजोरम | लोहार, कर्मकार, विश्वकर्मा | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
त्रिपुरा | लोहार, कर्मकार, विश्वकर्मा | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
अरुणाचल प्रदेश | लोहार, कर्मकार, विश्वकर्मा | अन्य पिछड़ा जाति/ OBC | |
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Lohar jati youtube | lohar jatee wikipedia |
History of Lohar Caste Govt Notification
लोहार वंश के इतिहास सम्बन्धी प्रश्न उत्तर
लोहार जाति की उत्पत्ति कब और कैसे हुई ?
लोहार वंश की उत्पत्ति भगवान विश्वकर्मा से हुयी है।
लोहार वंश का क्या इतिहास है?
लोहार वंश के गौरवशाली इतिहास का सम्बन्ध मानव सभ्यता में पाषाण काल से आधुनिक काल तक अद्भुत एवं अनोखा रहा है।
लोहार जाति किस श्रेणी में आती है?
लोहार जाति OBC श्रेणी में आती है।
लोहार जाती के मुख्य कार्य क्या हैं?
लोहार वंश का मुख्य कार्य लोहा, लकड़ी से लेकर कलकारखनो तक फैला है।
लोहार वंश के संस्थापक कौन हैं ?
राजा संग्रामराज को का लोहार जाति का संस्थापक माना जाता है।
लोहार वंश की स्थापना कब हुई थी?
लोहार वंश की स्थापना 1003-1028 ईस्वी में हुयी थी।
लोहार वंश का स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान रहा है?
स्वतंत्रता संग्राम में लोहार जाती बहुत बड़ा योगदान रहा है।
लोहार वंश के कुल देवी कौन हैं?
लोहार जाति की अनेक कुल देवियां हैं.
लोहार जाति के कुल देवता कौन हैं?
लोहार वंश के कुल देवता विश्वकर्मा जी है।
लोहार वंश के कुलगुरु कौन हैं ?
लोहार जाती के कुल गुरु शुक्राचार्य जी हैं।
लोहार वंश के कौन कौन से गोत्र हैं?
Lohar Jati ke Gotra: चौहान, सोलंकी, करहेड़ा, परमार भूंड, बडगुजर, तंवर, डांगी, पटवा, जसपाल, तावड़ा, धारा, शांडिल्य, भीमरा एवं भारद्वाज आदि लोहार वंश के से गोत्र हैं।
भाई तू लोहार का इतिहास बता रहा है की अपना मन का बकवास बता रहा है लोहार ब्राह्मण वर्ण के अंतर गत आता है जो विश्वब्रहमीन कहलाता है तू बहुत चालाकी से बता रहा है की ये ब्राह्मण बता ते है पर लोग इनको नही मानता तो सुन जो अंत्यज शूद्र होगा वो नही माने गा जो शुद्र होगा वो भी जानता है लोहार ब्राह्मण वर्ण के अंतर गत आते है जो शिल्पी ब्राह्मण कहलाते है ऐसा नहीं होता तो भीम राव अंबेडकर जो महार जाति के थे लेकिन संविधान के चिल्पकार के नाम से जाने गए को लिखे वो सब मानता है शुद्र के नाम से नही अब ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य तो तुम्हारे जल में नही आए ge क्योंकि वो गूगल कम शास्त्र पड़ते है गूगल पर शिव को भी उल्टा लिखे है शूद्र प्राणी उनको इसी में सुकून मिलता है ये लोगो को भरमा रहा है इसे लोगो के जल में ना आए गूगल पर बहुत शुद्र लिख रहे है इनसे दूर रहे लोहार को विश्वकर्मा के रूप में भी देखा जाता है जो एक भगवान है ये शूद्र भगवान को भी नीचा दिखाने काम किया है
प्रिय सिवा सर्वप्रथम आप अपना हिंदी और अंग्रेजी में नाम सुधारिये। वेद पुराण शास्त्रों एवं राज्य/ केंद्र सरकार गजट नोटिफिकेशन के अनुसार लोहार जाति को शूद्र वर्ण (OBC) में रखा गया है केवल आंध्र प्रदेश राज्य को छोड़कर। कृपया मर्यादित भाषा का आचरण करे। फिर भी आपको धन्यवाद हमारा आर्टिकल पढ़ने एवं कमेंट लिखने के लिए, आपके सुझाव पर हम अवश्य विचार करेंगे।
Bhai tu shudrata par mat AA lohar ek Brahmin vard me aata hai Jo uske purkhe teknikal diye usko samalta AA Raha hai esa na kar agar tu shudra hai to thik hai Jo jaisa hota hai vaisa sochta hai
Dear Mathur, aapke comment ko dekhkar mujhe khed hai ki aapko aisa lag raha hai. Lekin har vyakti ke apne vichaar hote hain. Ynha maine jo bhi likha hai wo sab ved puran aur Central/ State Government ke Gazette se liya gya hai, hamri govt. ke anusar laohar jaati OBC ke antargat aata hai. Mera uddeshya kabhi bhi kisi ko thes pahunchana ya kisi jaati ko nukshan pahunchana nahi hai. Main samanvay aur prem ke saath sabhi ko samajhne aur samman karne ki koshish karti hoon. Ham sab kisi jati se phle ek manushya hain aur apne iss maanviy karm ko nibhate huye ek doosre ke saath pyaar aur samman ke saath rahna chahiye. kisi bhi manushy ke Vyaktigat guno ya jaatiyon ko lekar kisi ko nicha dikhane se kuch bhi accha nahi hota. Yeh samaj ek samriddh aur prem bhara sthal banna chahiye, jahan har vyakti apne vishesh guno se sampann hai.
“Main aapke saath samvad karne ke liye hamesha taiyaar hoon, aur aapki vicharadhara samajhne ki chahat rakhti hoon. Aapke vichar mere liye mahatvapurn hai. Dhanyavaad aur pyaar se bharpoor rahen” “हमारी तरफ से माथुर जी आपको शुभकामनाएं”!
भाई तू इतिहास बता रहा है की बकवास कर रहा है बहुत अच्छा से ये समझा रहा हैं लोहार ब्राह्मण मानते है लेकिन लोग उन्हें शुद्र मानते है भाई लोहार का vard ब्राह्मण है कर्म लोहार है जो एक इंजिनियर काम है अस्त्र शस्त्र का निर्माण करना जो विश्वकर्मा के उपासक है us trash BHI brahmin वर्ण भी तू शुद्र लिखा इसके मतलब जो ट्रेन बनाया जो प्लेन बनाया साथ साथ भगवान का भी अपमान जो विश्वकर्मा है तू शुद्र होगा ये नही अपने दिमाग ठीक करने की जरूरत नहीं तो भगवान ने तुम्हारे शरीर में आयरन नही दिए होते तू केछुवा के समान होता तू भगवान विश्वकर्मा का अपमान कर रहा है
सुधर जवो
प्रिय सिवा सर्वप्रथम आप अपना हिंदी और अंग्रेजी में नाम सुधारिये। वेद पुराण शास्त्रों एवं राज्य/ केंद्र सरकार गजट नोटिफिकेशन के अनुसार लोहार जाति को शूद्र वर्ण (OBC) में रखा गया है केवल आंध्र प्रदेश राज्य को छोड़कर। कृपया मर्यादित भाषा का आचरण करे। फिर भी आपको धन्यवाद हमारा आर्टिकल पढ़ने एवं कमेंट लिखने के लिए, आपके सुझाव पर हम अवश्य विचार करेंगे।
शुद्र सुधर जा
प्रिय सिवा सर्वप्रथम आप अपना हिंदी और अंग्रेजी में नाम सुधारिये। वेद पुराण शास्त्रों एवं राज्य/ केंद्र सरकार गजट नोटिफिकेशन के अनुसार लोहार जाति को शूद्र वर्ण (OBC) में रखा गया है केवल आंध्र प्रदेश राज्य को छोड़कर। कृपया मर्यादित भाषा का आचरण करे। फिर भी आपको धन्यवाद हमारा आर्टिकल पढ़ने एवं कमेंट लिखने के लिए, आपके सुझाव पर हम अवश्य विचार करेंगे।
अपने लेख को बदलने की जरूरत इसी तरह का एक बाकचोदी भारत कोश वाला किया है बाद में पता चला वो खुद शुद्र है जो जैसा होगा वैसा करेगा
प्रिय सिवा सर्वप्रथम आप अपना हिंदी और अंग्रेजी में नाम सुधारिये। वेद पुराण शास्त्रों एवं राज्य/ केंद्र सरकार गजट नोटिफिकेशन के अनुसार लोहार जाति को शूद्र वर्ण (OBC) में रखा गया है केवल आंध्र प्रदेश राज्य को छोड़कर। कृपया मर्यादित भाषा का आचरण करे। फिर भी आपको धन्यवाद हमारा आर्टिकल पढ़ने एवं कमेंट लिखने के लिए, आपके सुझाव पर हम अवश्य विचार करेंगे।
अपने लेख को बदलने की जरूरत इसी तरह का एक बाकचोदी भारत कोश वाला किया है बाद में पता चला वो खुद शुद्र है जो जैसा होगा वैसा करेगा
प्रिय सिवा सर्वप्रथम आप अपना हिंदी और अंग्रेजी में नाम सुधारिये। वेद पुराण शास्त्रों एवं राज्य/ केंद्र सरकार गजट नोटिफिकेशन के अनुसार लोहार जाति को शूद्र वर्ण (OBC) में रखा गया है केवल आंध्र प्रदेश राज्य को छोड़कर। कृपया मर्यादित भाषा का आचरण करे। फिर भी आपको धन्यवाद हमारा आर्टिकल पढ़ने एवं कमेंट लिखने के लिए, आपके सुझाव पर हम अवश्य विचार करेंगे।
Bhai Agar OBC me aane se koi shudra ho Jata Hai to bahut se Rajput bahut se brahmin OBC me Hai to Kya vo shudra Hai Ki unko Apne aarthik ke kamjori se Diya Gaya Hai koi APNA bhai Agar pichad Jayega to Kya vo shudra Hai aur bat rahi lohar Ki to ye bhagvan vishvkarma ke upasak Hai Jo vigyan ke jank Hai vishvkarma unke shalhaye bhrigu angira Anek rishi muni huge Jo abiskar se Jude Hai AAP Mishra likhi to hame BHI ish par Sandesh Hai lohar ka MATLAB lohe ke Kam karne vala Jo lohe ke abiskar Hai is bat par Dyan de Mishra bhai
Namaste Shiva Ji,
Dhanyavaad aapke feedback ke liye mai aapke vichar ka Samman karti hu kyunki har ek opinion ki ahmiyat hoti hai. Mai apne posts aur content mein hamesha se positive vibes aur samriddh samaj ki neev rakhne ka prayas karti hu aur aapke suggestions se humein aur behtar banane karne ka avsar milta hai. Hamara uddeshya kisi ki bhavnao ko thes pahuchna nhi hai aur na mai kisi bhi jaati ko manvata se uncha/ nicha maanti hu, ynha jo bhi likha hai wo govt Gazette se liya hai. fir bhi Hum khud ko sudharne mein lage rahenge taki humari posts aur content aap aur dusre readers ke liye ek uttam anubhav ho. Dhanyavaad once again!
वाराही संहिता अ.२,श्लोक ६) अर्थात – वास्तुकला ज्योतिष शास्त्र का विषय है। वास्तुकला के अन्तर्गत घर , मकान , कुँवा, बावड़ी , पुल , नहर , किला , नगर, देवताओं के मंदिर आदि शिल्पादि पदार्थो की रचना की उत्तम विधि होती है। ब्राह्मणो के इष्टकर्म और पूर्तकर्म ब्राह्मणो के दो प्रकार के कर्मो से परिचय कराएंगे। एक है ‘ इस्ट ‘ कर्म और दूसरा है ‘ पूर्त ‘ कर्म। इस्ट कर्म से ब्राह्मणो को स्वर्गप्राप्ति होती है और पूर्त कर्मो से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अर्थात जो ब्राह्मण इस्ट कर्म ही सिर्फ करके पूर्त कर्म ना करें उसे मोक्ष नहीं मिल सकता है जो सनातन धर्म में मनुष्यों का अंतिम लक्ष्य है। इसके प्रमाण स्वरूप कुछ धर्मशास्त्र से प्रमाण निम्न है , इस्टापूर्ते च कर्तव्यं ब्राह्मणेनैव यत्नत:। इस्टेन लभते स्वर्ग पूर्ते मोक्षो विधियते॥
(अत्रि स्मृति)
(अष्टादशस्मृति ग्रन्थ पृष्ठ – ६ – पं.श्यामसुंदरलाल त्रिपाठी) अर्थात – इष्टकर्म और पूर्तकर्म ये दोनों कर्म ब्राह्मणो के कर्तव्य है इसे बड़े ही यत्न से करना चाहिए है। ब्राह्मणो को इष्टकर्म से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और पूर्तकर्म से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार की व्याख्या यम ऋषि ने भी धर्मशास्त्र यमस्मृति में की है जो निम्न है ; इस्टापूर्ते तु कर्तव्यं ब्राह्मणेन प्रयत्नत:। इस्टेन लभते स्वर्ग पूर्ते मोक्षं समश्नुते
(यमस्मृति)
(अष्टादशस्मृति ग्रन्थ पृष्ठ १०६ – पं.श्यामसुंदरलाल त्रिपाठी) अब अत्रि ऋषि की अत्रि स्मृति नामक धर्मशास्त्र के आगे के श्लोक से इष्ट कर्म और पूर्त कर्मो के अन्तर्गत कौन से कर्म आते है उसकी व्याख्या निम्न है ; अग्निहोत्रं तप: सत्यं वेदानां चैव पालनम्। आतिथ्यं वैश्यदेवश्य इष्टमित्यमिधियते॥ वापीकूपतडागादिदेवतायतनानि च। अन्नप्रदानमाराम: पूर्तमित्यमिधियते॥
(अत्रि स्मृति)
(अष्टादशस्मृति ग्रन्थ पृष्ठ – ६ – पं.श्यामसुंदरलाल त्रिपाठी) अर्थात – ब्राह्मणो को अग्निहोत्र(हवन), तपस्या , सत्य में तत्परता , वेद की आज्ञा का पालन, अतिथियों का सत्कार और वश्वदेव ये सब इष्ट कर्म के अन्तर्गत आते है। ब्राह्मणो को बावड़ी, कूप, तालाब इत्यादि तालाबो का निर्माण, देवताओं के मंदिरों की प्रतिष्ठा जैसे शिल्पादि कर्म , अन्नदान और बगीचों को लगाना जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है ऐसे कर्म पूर्त कर्म है। उपर्युक्त सभी अकाट्य प्रमाणो से ये सिद्ध होता है कि ब्राह्मणो के सिर्फ षटकर्म जैसे इष्टकर्म ही नहीं है अपितु शिल्पकर्म जैसे पूर्तकर्म भी है जिनमें बावड़ी, कूप, तालाब इत्यादि तालाबो का निर्माण, देवताओं के मंदिरों के निर्माण एवं प्रतिष्ठा जैसे कर्म शिल्पकर्म के अन्तर्गत आते है जिसके करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है जो सनातन धर्म का अंतिम और सर्वोच्च लक्ष्य है। पूर्तकर्म (शिल्पादि कर्म) का उल्लेख अथर्ववेद में भी आया है। महर्षि पतंजलि ने शाब्दिक ज्ञान को मिथ्या कहा है। कल्प के व्यावहारिक ज्ञाता को ही ब्राह्मण कहा जाता है। क्योंकि उसी वेदांग कल्प के शुल्व सूत्र से शिल्पकर्म की उत्पत्ति हुई है। ब्रह्मा जी ये सृष्टि को अपनी सर्जना से कल्पित अर्थात निर्मित करते है उन्हीं ब्रह्मा जी की सृजनात्मक कल्पना शक्ति जिसमें होती है वहीं ब्राह्मण कहलाता है। सर्जनात्मक विधा ही निर्माण अर्थात शिल्पकर्म कहलाती है। ब्रह्मा जी का प्रमुख कर्म है सृजन अर्थात निर्माण किसी एक इसी के कारण इनका पद ब्रह्मा है। ब्रह्मा जी एक दिन और रात को ‘ कल्प ‘ कहते हैं। कल्प का अर्थ होता है यज्ञ। वेदांग कल्प के शुल्व सूत्र से शिल्पकर्म की उत्पत्ति हुई हैं। वेदांग कल्प से निर्मित होने के कारण शिल्पकर्म भी यज्ञ सिद्ध होता हैं। निर्माण से संदर्भ में यज्ञशाला या शाला का निर्माण का उल्लेख वेदो के साथ-साथ अन्य शास्त्रों में भी बहुत से स्थानों पर है हम आपके समझ अथर्ववेद का एक ऐसा ही उदाहरण देते हैं जिसमें शाला के निर्माण को ब्राह्मणों द्वारा बताया गया है ; ब्रह्मणा शालां निमितां कविभिर्निमितां मिताम् । इन्द्राग्नी रक्षतां शालाममृतौ सोम्यं सदः ॥
प्रिय सिवा, धन्यवाद आपने इतनी ज्ञानवर्धक जानकारियां हमारे साथ शेयर किया। मैं आपका और आपके विचारो का सम्मान करती हूँ।
वाराही संहिता अ.२,श्लोक ६) अर्थात – वास्तुकला ज्योतिष शास्त्र का विषय है। वास्तुकला के अन्तर्गत घर , मकान , कुँवा, बावड़ी , पुल , नहर , किला , नगर, देवताओं के मंदिर आदि शिल्पादि पदार्थो की रचना की उत्तम विधि होती है। ब्राह्मणो के इष्टकर्म और पूर्तकर्म ब्राह्मणो के दो प्रकार के कर्मो से परिचय कराएंगे। एक है ‘ इस्ट ‘ कर्म और दूसरा है ‘ पूर्त ‘ कर्म। इस्ट कर्म से ब्राह्मणो को स्वर्गप्राप्ति होती है और पूर्त कर्मो से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अर्थात जो ब्राह्मण इस्ट कर्म ही सिर्फ करके पूर्त कर्म ना करें उसे मोक्ष नहीं मिल सकता है जो सनातन धर्म में मनुष्यों का अंतिम लक्ष्य है। इसके प्रमाण स्वरूप कुछ धर्मशास्त्र से प्रमाण निम्न है , इस्टापूर्ते च कर्तव्यं ब्राह्मणेनैव यत्नत:। इस्टेन लभते स्वर्ग पूर्ते मोक्षो विधियते॥
(अत्रि स्मृति)
(अष्टादशस्मृति ग्रन्थ पृष्ठ – ६ – पं.श्यामसुंदरलाल त्रिपाठी) अर्थात – इष्टकर्म और पूर्तकर्म ये दोनों कर्म ब्राह्मणो के कर्तव्य है इसे बड़े ही यत्न से करना चाहिए है। ब्राह्मणो को इष्टकर्म से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और पूर्तकर्म से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार की व्याख्या यम ऋषि ने भी धर्मशास्त्र यमस्मृति में की है जो निम्न है ; इस्टापूर्ते तु कर्तव्यं ब्राह्मणेन प्रयत्नत:। इस्टेन लभते स्वर्ग पूर्ते मोक्षं समश्नुते
(यमस्मृति)
(अष्टादशस्मृति ग्रन्थ पृष्ठ १०६ – पं.श्यामसुंदरलाल त्रिपाठी) अब अत्रि ऋषि की अत्रि स्मृति नामक धर्मशास्त्र के आगे के श्लोक से इष्ट कर्म और पूर्त कर्मो के अन्तर्गत कौन से कर्म आते है उसकी व्याख्या निम्न है ; अग्निहोत्रं तप: सत्यं वेदानां चैव पालनम्। आतिथ्यं वैश्यदेवश्य इष्टमित्यमिधियते॥ वापीकूपतडागादिदेवतायतनानि च। अन्नप्रदानमाराम: पूर्तमित्यमिधियते॥
(अत्रि स्मृति)
(अष्टादशस्मृति ग्रन्थ पृष्ठ – ६ – पं.श्यामसुंदरलाल त्रिपाठी) अर्थात – ब्राह्मणो को अग्निहोत्र(हवन), तपस्या , सत्य में तत्परता , वेद की आज्ञा का पालन, अतिथियों का सत्कार और वश्वदेव ये सब इष्ट कर्म के अन्तर्गत आते है। ब्राह्मणो को बावड़ी, कूप, तालाब इत्यादि तालाबो का निर्माण, देवताओं के मंदिरों की प्रतिष्ठा जैसे शिल्पादि कर्म , अन्नदान और बगीचों को लगाना जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है ऐसे कर्म पूर्त कर्म है। उपर्युक्त सभी अकाट्य प्रमाणो से ये सिद्ध होता है कि ब्राह्मणो के सिर्फ षटकर्म जैसे इष्टकर्म ही नहीं है अपितु शिल्पकर्म जैसे पूर्तकर्म भी है जिनमें बावड़ी, कूप, तालाब इत्यादि तालाबो का निर्माण, देवताओं के मंदिरों के निर्माण एवं प्रतिष्ठा जैसे कर्म शिल्पकर्म के अन्तर्गत आते है जिसके करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है जो सनातन धर्म का अंतिम और सर्वोच्च लक्ष्य है। पूर्तकर्म (शिल्पादि कर्म) का उल्लेख अथर्ववेद में भी आया है। महर्षि पतंजलि ने शाब्दिक ज्ञान को मिथ्या कहा है। कल्प के व्यावहारिक ज्ञाता को ही ब्राह्मण कहा जाता है। क्योंकि उसी वेदांग कल्प के शुल्व सूत्र से शिल्पकर्म की उत्पत्ति हुई है। ब्रह्मा जी ये सृष्टि को अपनी सर्जना से कल्पित अर्थात निर्मित करते है उन्हीं ब्रह्मा जी की सृजनात्मक कल्पना शक्ति जिसमें होती है वहीं ब्राह्मण कहलाता है। सर्जनात्मक विधा ही निर्माण अर्थात शिल्पकर्म कहलाती है। ब्रह्मा जी का प्रमुख कर्म है सृजन अर्थात निर्माण किसी एक इसी के कारण इनका पद ब्रह्मा है। ब्रह्मा जी एक दिन और रात को ‘ कल्प ‘ कहते हैं। Bhai Mishra Hai to sudar Karne Ki jarurat hai
शुक्रिया सिवा जी आपके सुझाव के लिए, मैं ऐसा मानती हूँ की सभी जाति और सभी धर्म के लोगों को सम्मान, समर्थन, और समानता मिलना चाहिए। सभी व्यक्तियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, लिंग, रंग, या किसी भी विशेषता के हों। यह समाज के लिए महत्वपूर्ण है और समृद्धि, शांति, और समरसता के लिए आवश्यक है। मुझे आपका फीडबैक पढ़कर ख़ुशी हुयी ऐसे ही हमारे साथ जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद!
Bhai tu lohar ka hi Nahi tu Agar Mishra Hai to vishvkarma ke bade beta Manu ka BHI apman kar raha Hai Jo Jane dhari Hai Jo Loh karma ke baigyanik Hai jo vishvbrahmin Hai Agar Mishra ho to shudhar jarur karege Nahi to Jo mai janta. hu to koi Nahi kah sakta
नमस्ते सिवा जी, यदि मैंने आपको किसी भी तरह से भावुक किया हो, तो इसके लिए मैं आपसे खेद प्रकट करती हूँ। मेरा उद्देश्य सिर्फ ज्ञानवर्धन करना है। विश्व में हर किसी के अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक नियम होते हैं, और इसका मैं सम्मान करती हूँ। मैं आपका और आपके समुदाय का सम्मान करती हु। धन्यवाद आपने आपना फीडबैक हमारे साथ शेयर किया।
अर्थात- ब्राह्मण के लिए ज्ञान विज्ञान( शिल्प)का जानना जरूरी शर्त है।
अध्याय ३७ में ही युधिष्ठिर संवाद में लिखा है-
शिल्पमध्ययनं नामवृतब्राह्मणलक्षणम्।
Bhai ham brahmin jati Nahi brahmin vard Hai ap Agar Mishra Hai sudhar kar sakte Hai Nahi to chama hi chama Hai jai vishvkarma jai vigyan
प्रिय सिवा, धन्यवाद आपके कमेंट के लिए, आपने वेदों में दिए गए वाक्य को साझा किया है जिससे स्पष्ट होता है कि ज्ञान विज्ञान और शिल्प का अध्ययन ब्राह्मणों के लिए महत्वपूर्ण है। हम इस संदेश को समझते हैं और ब्राह्मण समाज के लोगों का सम्मान करते हैं। हम ये भी समझते हैं कि सभी लोगो का उनके समाज, जाति, वर्ग या वर्ण में उनके योगदान का महत्व है और हम भी यही चाहते हैं कि हम एक दूसरे को सम्मान दें और साथ मिलकर समृद्धि, समाजिक उत्थान, और विज्ञान के माध्यम से आगे बढ़ें। हम आपके विचार का सम्मान करते।
Ye brahmin jati Nahi brahmin vard se hai
प्रिय सिवा, धन्यवाद आपके विचार का लेकिन हम सामाजिक भेद-भाव नहीं करते हैं और हर एक व्यक्ति का सम्मान करते हैं, चाहे वह किसी भी वर्ग या वर्ण से संबंधित क्यों न हो। हमारा उद्देश्य हमेशा से रहा है कि सभी को एक समान समाज में सम्मान और अधिकार मिलना चाहिए। हमने अपनी पोस्ट में किसी भी विशेष जाति या वर्ग को अपमान करने की कोशिश नहीं की है। लेकिन अगर आपको ऐसा लगता है तो हम खेद प्रकट करते हैं। हम चाहते है की सभी जगह सकारात्मक, प्रेम और सम्मान से भरा महौल बना रहे। आपका विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण है, और हम आपके साथ जुड़कर अच्छे कंटेंट लिखने की कोशिश करेंगे।
Kya bkwas h….kuchh bhi aaltu faltu ki post daal kr apne aap ko bhot bda gyani smjhne ka kasht n kre……aap apna itihas dekhiye khush rhiye, faltu kisi ko ulta sidha bta kr galat fehmi n paale or n hi dusro me waham failaaye….dhnyawad
Dear Vikash,
Dhanyavaad aapke vichaar ka, Hum khed hai ki aapko hamare posts pasand nahi aaye aur aapko aisa lagta hai ki hum apne aap ko gyani samajh rahe hain. Hamara uddeshya kabhi bhi kisi ko hurt karna ya galat fehmi failana nahi hota hai, Hum apne content mein hamesha se sach, sahi tarika, aur samriddh samaj ki neev par vichar karte hain.
Aapke is feedback se humein apne content mein sudhar karne ka mauka milta hai, Hamein lagta hai ki har ek comment se humein kuch na kuch naya seekhne ka avsar milta hai. Hum aapke sujhav ko dhyaan mein rakhte hue apne likhne ka tarika aur vichaar sudharne ki koshish karenge isliye hum aap sab ke saath milkar ek behtar samaj ki disha mein aage badhna chahte hain.
Aapka feedback hamare liye mahtvapurna hai. Aise hi hamare sath jude rhne ke liye Dhanyavaad Mr. Vikash
Rakhi mam itna adaram na kare AAP Apne lekh likhne ke liye AAP bhagvan vishvkarma ka Putra manu ka BHI apman Kiya Hai Jo Loh karma ka baigyanik Hai Agar sach Nahi likhana Hai to yehi likhne vard ke jagah par vishvbrahmin likhne par shudra Vali dimag na lagaye OBC se koi shudra Nahi Hota vishvkarma Samaj ek brahmin vard ke log hai
प्रिय सिवा, आपके विचार और सुझाव के लिए शुक्रिया! हम सब एक जैसे हैं और हर व्यक्ति का सम्मान करना हमारा धर्म है। मैंने अपने लेख में किसी का भी अपमान करने की कोशिश नहीं की है लेकिन फिर भी आपको ऐसा लगता है तो उसके लिए हमे खेद हैं। आपका फीडबैक पढ़कर हमे अच्छा लगा।
मिश्रा मैडम संविधान के अनुसार obc में आते है सनातन धर्म के अनुसार ब्राह्मण वर्ण में आते है जो विश्वब्रहमीन है रही बात आचारहीन की तो मैडम विश्वब्रहमीन नही मिलेगा और होगे भी तो ब्राह्मण वर्ण के ही होगे रावण आचार hin था फिर भी ब्राह्मण वर्ण था जाति आशूर त्वष्टा विश्वकर्मा के पुत्र विश्वरूप जो एक मुंह से मांस दूसरे से मदिरा तीसरे से शुद्ध बच्चन बोलते थे भीर भी ब्राह्मण ही थे एक है मैडम एडमिन नाम का ब्रोफाइल बनाया है लोहार को शुद्र बताvishvkarma समाज को सर्वस्रेस्ट ब्राह्मण बताया है बाद में पता चला की वो खुद शुद्र था जो ऐसा कर रहा था लोहार भगवान विश्वकर्मा के बड़े पुत्र मनु को लोहार के rum me जानते है जो विश्वब्रहमीन है लोह कर्म के बैज्ञानिक बात वो करता है लोहार की तो जिस भी समाज के बारे में लिखता लोहार के आगे या पीछे जरूर कुछ us Samaj ka Nam Hota lohar ko शास्त्र में भी ब्राह्मण बताया है जय विश्वकर्मा जय विज्ञान
हेलो सिवा, संविधान के अनुसार “कुछ राज्यों” में इन्हे निम्न वर्ग में रखा गया है।
Us शुद्र को लगता है ब्राह्मण वर्ण बट गया है जिसका लाभ उठा लिया जाए हम सबका सम्मान करते पर कोई हमे बाते ब्रदास नही करते जय विश्वकर्मा जय विज्ञान admin शुद्र को समझना बड़े गा लिखना है तो शास्त्र से लिख ना तो मत लिख लोहार विश्वकर्मा पुत्र मनु को कहा गया है और जो भी समाज है लोहार के आगे अपने समाज को रखे है जो लोहा काम करते है उसे लोहार कहा जाता है जो भी समाज के लोग लोहे के काम करते है अपने समाज का नाम रखते है विश्वकर्मा समाज डैरेक लोहार का प्रयोग करता है फिर भी निवेदन करते है सुधर जाओ लोहार एक विश्वब्राह्मण है
नमस्ते सिवा जी, आपने बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु पर बात की है। हमें किसी के जाति या वर्ण के आधार पर उनकी मान्यता को नहीं ठुकराना चाहिए। हम सभी का समाज में अद्भुत योगदान है, और हमें एक दूसरे की विशेषता का सम्मान करना चाहिए। आपका संदेश बहुत महत्वपूर्ण है। जय विश्वकर्मा!
आप ने लिखा है अधिकतर आचार हीन होते है समाज में इनको शूद्र माना जाता है समाज में कया भरना चाहती है की ब्राह्मण वर्ण के तो है पर इन्हें समाज में शुद्र माना जाए क्या कोई लिखे ब्राह्मण जाति को ब्राह्मण कहते है पर समाज में शुद्र से भी नीचे भिखारी माने जाते है ब्राह्मण समाज को कैसा लगेगा लेकिन हमे ब्राह्मण समाज पर कुछ नही कहना क्यों की हम ने जितने भी आप के इस पोस्ट को डालकर समाज में फैलते है वो सब शुद्र ही निकले है अधिकतर से जी रहे है ब्राह्मण पड़ता है दूसरो का देखता और सुनता नही आप पर से एक शुद्र हिंदी कोश बनाया है आप के अधिकतर वाले पोस्ट किया है हम ने किसी के साथ भेद भाव नही किया सबको सम्मान दिया जो शुद्र फैला रहा है लोहार अधिकतर शुद्र है उनको भीम रावके बारे में पद लेना चाहिए क्या उनको सम्मान शुद्र से सम्मान दिया जाता है की संविधान के शिल्पकार के नाम से इससे जड़ा नही कहना जो जैसा होता है वैसा मानता है
और लिखता है जय मां भवानी
डियर सिवा, मुझे खेद है की मेरे लेख से आपकी भावनाओ को ठेस पंहुचा है, मैं जल्द से जल्द सुधारने का प्रयास करुंगी।
अधिकतर लोग शुद्र माने जाते है E Kya जरूरत है मैडम मिश्रा इसके जगह पर आप अधिकतर विश्वब्रहमीन माने जाते है लिख सकती जो समाज में गलत भी कर रहे है वो सुधार ला सकते है जब की वो विश्वब्रहमीन है है विज्ञान के पिता को मानने वाले मैडम सत्य parsan होता है पर पराजित नही आप के चलते जो समाज हीन बुद्धि से ग्राषित होता है वो समाज में अर्जकता फैलाने लगता है
प्रिय सिवा, मुझे खेद है की मेरे आर्टिकल से आपकी भावनाये आहात हुई है। मैं सुधार करने की कोशिश करुँगी।
अधिकतर लोग शुद्र माने जाते है E Kya जरूरत है मैडम मिश्रा इसके जगह पर आप अधिकतर विश्वब्रहमीन माने जाते है लिख सकती जो समाज में गलत भी कर रहे है वो सुधार ला सकते है जब की वो विश्वब्रहमीन है है विज्ञान के पिता को मानने वाले मैडम सत्य परसान होता है पर पराजित नही आप के चलते जो समाज हीन बुद्धि से ग्राषित होता है वो समाज में अर्जकता फैलाने लगता है
डियर सिवा जी, मैं आपके विचार को समझती हूँ। आप बिलकुल सही कह रहे हैं किसी के जाति या वर्ण के आधार पर उनकी मान्यता को नहीं ठुकराना चाहिए। मैं आपका, सभी जाति के लोगो एवं सभी वर्गों का सम्मान करती हूँ।
बहुत से ब्राह्मण आचारहीनता में रहते है तो क्या वह ब्राह्मण नही रहे https://youtu.be/sOARvLE3maI Kya brahmin Nahi Hai AAP ke अंदर थोड़ा भी इंसानियत है तो अधिकतर वाले बयान को सुधर करे नही करना चाहती तो इनको ब्राह्मण वर्ण न कह कर विश्वब्रहमीन कहे लोगो के दिमाग में अरक्जकता ना भरे
हेलो तिवारी जी, यंहा मैंने छूत शूद्र का प्रयोग इसलिए किया था क्यूंकि यंहा वेद पुराण शास्त्रों एवं राज्य/ केंद्र सरकार गजट नोटिफिकेशन सभी के अनुसार यह लेख लिखा गया है।
आप के लिखावट से बहुत हीन लोग इनपर अगली उठाना शुरू कर देते है ये उनको समछ नही आता जो ब्राह्मण वर्ण का है वो ब्राह्मण वर्ण का रहेगा ये किसी से भेद भी नही रखते और अपने को समाज में ब्राह्मण भी नही कहते ये तो साधारण लोग है जो अपने को विश्वकर्मा कह कर खुश रहते जो निर्माण के भगवान है आगे आप की इच्छा
नमस्ते तिवारी जी, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं कि जाति या वर्ण के आधार पर किसी के आत्मसम्मान को ठेस नहीं पहुंचना चाहिए। धन्यवाद कि आपने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया है। आपकी बातें ह्रदय स्पर्शी है।
Shudra madam AAP अपने लेख में लिखा है अधिकतर आचार हीन जो है शुद्र माने जाते है समाज में अपना सुद्रता भरना चाहती है जो वर्ण से ब्राह्मण वर्ण का है वो कैसे गिरेगा ha AAP Nahi मानेगी लेकिन ये लिखने की जरूरत नहीं है कोई आप की तरह लिख दे सूर्य ठंडा होता है तो क्या हो जाए गा क्या कुछ लोग का मानना था सूर्य चक्र लगता है पृथ्वी का लेकिन सच सामने आया
हेलो तिवारी जी, आपको जमीनी स्तर पर लोहार जाति के लोगो को देखने की जरुरत है। आपके फीडबैक के लिए धन्यवाद!
मैडम कोई ओबीसी में हो तो शुद्र नही होगा ओबीसी में बहुत ब्राह्मण है लोहार ब्राह्मण वर्ण के है ओबीसी में आते है संविधान के अनुसार न की शास्त्र के अनुसार ये सब विश्व ब्राह्मण है जो विज्ञान विधाता की पूजा करते है विश्वकर्मा एक जगह मैंने देखा किसी शुद्र ने बड़ाई को शुद्र vard बता दिया जब की वो भी विश्वब्रहमीन है जय विश्वकर्मा जय विज्ञान ये कहते थे ब्राह्मण जाति बताता है अब शुद्र बाट रहै है ब्राह्मण वर्ण को
प्रिय तिवारी जी, आप सही कह रहे हैं, किसी को उनकी जाति या वर्ण के आधार पर “शुद्र” या “ब्राह्मण” कहना गलत है। यह भेदभाव और सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देता है। आपका सुझाव सही है कि हमें व्यक्ति को उनकी गुणों और क्रियाओं के आधार पर मूल्यांकन करना चाहिए, न कि जाति या वर्ण के आधार पर। आपने इस समस्या पर ध्यान दिया है और सामाजिक समानता के लिए आवाज उठाई है, इसके लिए धन्यवाद।
मैडम आप से निवेदन है की आप ओबीसी लिखे ना की shuch शूद्र लिखे आप में थोड़ा भी इंसानियत है तो बदलाव कर सकती है आगे आप की इच्छा जय विश्वकर्मा जय विज्ञान
हेलो सिवा, आपके सुझाव का मैं स्वागत करती हूँ और इसे महत्वपूर्ण मानती हूँ। आपको जिस शब्द से आपत्ति थी उसको आर्टिकल से हटा दिया गया है। मेरा उद्देश्य आपकी भावनाओ को ठेस पहुंचना नहीं था। धन्यवाद!
Lohar, Luhar is a profession not cast. We do not faith on this and nobody should believe on this mythology. Actually we are the engineer by birth, our forefathers and our East Dev Bhagwan Vishwakarma are from beginning of universe, they constructed and made lot of engineering work on request of Brahma Jee like Aeroplane, buildings, weapon and many more. History is witnesse of our community.
Keeping in view of above, I would like to say we are the Panchal Brahmins according to Vaid & Upnishid etc. I agree the community is not so strong financial point of view, but all are social. Lives with brotherhood with another community.
पांचाल ब्राह्मण उत्पत्ति 👎
https://www.google.co.in/books/edition/Brahmanotpatti_Martanda/1mpKEAAAQBAJ?hl=en&gbpv=1&pg=PT572&printsec=frontcover
Lohar vishwkarma ek brahaman jati hai kerala brahaman hi nahi but brahamano me sarvshresth brahaman hai inko obc me galat rakha gya hai inko to highest general me hona chahiye I am reading but Mera target lohar vishawkarma brahaman ko highest general shiddh karna hai Mai vishwkarma brahaman jeetendra aako yah vachan deta hu Jai vishwkarma bhagvan ki
Jai Vishwakram Bhagwan ki, Jai Lohar Samaj ki
Vishwkarma brahaman satybabu bahut hi nirdhan hamara Anuradha hai ki inko karigar hetu vishesh suvidha dijay
Hello Satybabu, aap bilkul sahi bol rahe hain, vishwakram brahman ko reservation milna chahiye
ंचाहे हम कोई भी केटेगीरी के हो हमें मोक्ष कौन देगा इसका विचार हमें करना चाहिए।
Yess, you are right
Ager lohar sudr h ya tino varno ko chhod ke sabhi suder h to sbki utpati to brahma ji se Hui h to fir brahma ji bhi suder hue.kynki pita ka Jo varn h wahi bachche ka hoga. Uch kul ka paida hua nich krm kre tb to usko koi suder ya nich nhi kahta. We are all humen being not any animal If anyone feels bad about my work then I would like to apologize.
Hello Rajesh Patanjali, Aap ke vichar sundar hain, Thanks