निपाह वायरस की सम्पूर्ण जानकारी
निपाह वायरस (एक संकट): निपाह वायरस, जिससे मानव एवं जानवर दोनों प्रभावित हो सकते हैं। निपाह वायरस से गंभीर इन्फेक्शन भी हो सकता है जिसके लक्षण बुखार, सिरदर्द एवं थकान है। निपाह वायरस से ग्रसित प्राणी को बिमारी की पुनरावृत्ति भी हो सकती है। निपाह वायरस के प्रकोप का सबसे पहले पता 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में चला था। तब से यह अनेक बार मानवों में प्रकोपित हुआ है। निपाह वायरस का प्रसार संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से भी होता है। यह वायरस संक्रमित चीजों को छूने के बाद मुंह या नाक के पास ले जाने से भी इसका खतरा और बढ़ जाता है।
निपाह वायरस की सम्पूर्ण जानकारी: इस लेख में हम आप को निपाह वायरस के बारे में विस्तार से बताएँगे। प्रस्तुत लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि निपाह वायरस क्या है? कैसे फैलता है? हम आपको इस संकट के कारण, लक्षण, और बचाव के उपायों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे।
निपाह वायरस क्या है?
आपको बता दे निपाह वायरस के बारे में जानने से पहले हमे यह पता होना चाहिए की निपाह वायरस क्या है? इस पर भी थोड़ा बहुत चर्चा करना जरूरी है तभी हम निपाह वायरस को और अधिक अच्छे से समझ पाएंगे।
निपाह वायरस (NiV) एक जीवाणु जनित रोग है और दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे लोगों के बीच भी फैल सकता है। निपाह वायरस जानवरों के द्वारा मनुष्यों में फैलता है। इसलिए इसको ज़ूनोटिक वायरस भी कहते है। संक्रमित लोगों में यह तीव्र श्वसन और कई प्रकार घातक बीमारियों का कारण बन सकता है। निपाह वायरस से लोगों में गंभीर बीमारी और मृत्यु भी हो सकती है। निपाह वायरस एशिया में कुछ ज्ञात प्रकोप का गंभीर कारण बना है। यह वायरस सूअर जैसे जानवरों में भी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, जिसके फलस्वरूप किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। यह जानवरों की एक विस्तृत श्रृंखला को संक्रमित करता है। इसलिए यह सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है।
निपाह वायरस सबसे पहले कहां आया?
निपाह वायरस का पहला प्रकोप 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में सुअर पालकों के बीच फैलने के दौरान दर्ज किया गया था, तब इसके कई मामूली और गंभीर मामले सामने आए थे। इस प्रकोप के समय, इसका प्रसार चमगादड़ों (बैट्स) के साथ जुड़ा माना गया था। 1999 के बाद से मलेशिया में कोई नया प्रकोप रिपोर्ट नहीं किया गया है।
निपाह वायरस को 2001 में बांग्लादेश में भी मान्यता मिली थी और तब से बांग्लादेश में लगभग वार्षिक प्रकोप है। पूर्वी भारत में भी समय-समय पर इस बीमारी की पहचान की गई है। अन्य क्षेत्रों में भी जल्द ही निपाह वायरस के संक्रमण का खतरा हो सकता है क्यूंकि कंबोडिया, घाना, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, फिलीपींस और थाईलैंड सहित कई देशों में प्राकृतिक जलाशय (टेरोपस चमगादड़ प्रजाति) और कई अन्य चमगादड़ प्रजातियों में वायरस के प्रमाण पाए गए हैं।
निपाह वायरस कैसे आया?
- मलेशिया और सिंगापुर में प्रभावित अधिकांश मानव संक्रमित बीमार सूअरों या उनके दूषित ऊतकों के सीधे संपर्क के परिणामस्वरूप हुआ था। ऐसा माना जाता है कि सूअरों के स्राव के असुरक्षित संपर्क या किसी बीमार जानवर के ऊतकों के असुरक्षित संपर्क के माध्यम से यह फैला था।
- बांग्लादेश और भारत में संक्रमित फल, चमगादड़ों के मूत्र या लार से दूषित फल, या फल उत्पादों (जैसे कच्चे खजूर का रस) का सेवन संक्रमण का सबसे संभावित स्रोत था।
- संक्रमित रोगियों के परिवार और देखभाल करने वालों के बीच निपाह वायरस के मानव-से-मानव संचरण के सबसे ज्यादा प्रभावी माना गया गया।
- भारत के सिलीगुड़ी राज्य 2001 में स्वास्थ्य देखभाल सेटिंग के भीतर भी वायरस का संचरण दर्ज किया गया था, जहां 75% मामले अस्पताल के कर्मचारियों या आगंतुकों के बीच हुए थे।
- बांग्लादेश में 2001 से 2008 तक दर्ज किए गए लगभग आधे मामले संक्रमित रोगियों की देखभाल के माध्यम से मानव-से-मानव संचरण के कारण थे।
- निपाह वायरस के प्रकोप का असली स्रोत चमगादड़ों (बैट्स) को माना जाता है, और इसका प्रसार बैट्स के संपर्क के माध्यम से होता है। चमगादड़ों के साथ संबंधित कुछ प्रजातियाँ निपाह वायरस को अपने साथ लेकर इसे अन्य जानवरों या मानवों तक पहुँचा सकती हैं।
निपाह वायरस प्रसार का कारण
- चमगादड़ का संकरमण: निपाह वायरस चमगादड़ों के तंतु और उनके शरीर के अन्य अंगों में पाया जाता है, लेकिन यह चमगादड़ों को प्रभावित नहीं करता है। चमगादड़ों के साथ कुछ प्रजातियाँ निपाह वायरस के जीवाणु को अपने संवासियों के साथ लेती हैं, जो उसे प्रसारित करती हैं।
- मानवों का संकरमण: मानवों को निपाह वायरस का संकरमण बैट्स के संपर्क के माध्यम से हो सकता है, जैसे कि चमगादड़ों के निवास के पास आने वाले वस्तुओं को छूना या खाना। यदि इस प्रकार का संकरमण होता है, तो मानव दूसरे मानवों को भी संक्रमित कर सकते हैं, आमतौर पर संक्रमित फ्लूइड्स या ड्रॉपलेट्स के माध्यम से, जैसे कि खांसी या छींकने के समय।
निपाह वायरस के संकेत
निपाह वायरस के संकेत व्यक्ति से व्यक्ति तक भिन्न हो सकते हैं, और ये लक्षण आमतौर पर संक्रमण की गंभीरता और असर के स्तर पर भिन्न हो सकते हैं। निपाह वायरस के संकेत निम्नलिखित हो सकते हैं:
- बुखार: निपाह वायरस के संकेत में पहला संकेत अक्सर उच्च तापमान का होता है। बुखार आकस्मिक और अचानक हो सकता है। यह एक सामान्य लक्षण होता है।
- सिरदर्द: सिरदर्द जो आकस्मिक और तेजी से बढ़ सकता है और आपके सिरे के दोनों ओर के हिस्सों में हो सकता है।
- थकान: अधिकतम थकान और कमजोरी का अनुभव महसूस कर सकते हैं और आपको अपना शरीर अंत्यधिक दुर्बल महसूस होगा।
- मानसिक बदलाव: कुछ लोगों को निपाह संक्रमण से मानसिक समस्याएँ जैसे कि संवेदनशीलता, विचलन, और चिंता का अहसास हो सकता है।
- न्यूरोलॉजिकल लक्षण: गंभीर मामलों में, न्यूरोलॉजिकल लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि बिमारी की पुनरावृत्ति, डिज़िन्फैक्शन, और ब्रेन स्वेलिंग आदि।
- डायरिया: डायरिया हो सकती है, जिसके साथ पेट दर्द और जी मिचलाने की तकलीफ भी हो सकती है।
- बदबू: निपाह वायरस संक्रमण बढ़ने के साथ मनुष्य की श्वसन और शरीर की बदबू बढ़ जाती है।
कृपया ध्यान दें: निपाह वायरस संक्रमण के संकेतों को नकारात्मक लेना जरुरी है। निपाह वायरस का इलाज संवेदनशील हो सकता है, और यदि आपको इस रोग के संकेत मिलते हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना महत्वपूर्ण है।
निपाह वायरस के लक्षण
- निपाह वायरस से संक्रमित लोगों में शुरू में बुखार, सिरदर्द, मायलगिया (मांसपेशियों में दर्द), थकन, उल्टी और गले में खराश जैसे लक्षण दिखाई देते है।
- इसके बाद संक्रमित मनुष्य को चक्कर आना, सुस्ती, मानसिक समस्याएं और न्यूरोलॉजिकल संकेत हो सकते हैं जो तीव्र एन्सेफलाइटिस का संकेत देते हैं।
- निपाह वायरस से संक्रमित गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस और दौरे पड़ते हैं जिससे लोग 24 से 48 घंटों के भीतर कोमा में चले जाते हैं।
- कुछ लोगों को तीव्र श्वसन एवं गंभीर श्वसन समस्याओं के संकट सहित असामान्य निमोनिया भी हो जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक का अंतराल 4 से 14 दिनों तक होती है। लेकिन 45 दिनों तक की इससे अवधि बताई गई है।
निपाह वायरस से प्रभाव
- निपाह वायरस से प्रभावित मनुष्य को तीव्र श्वसन, (हल्का, गंभीर) और घातक एन्सेफलाइटिस (एक ऐसी स्थिति है जहां मस्तिष्क की सूजन होती है।) तक हो जाता है।
- तीव्र एन्सेफलाइटिस से जीवित बचे लोगों में दीर्घकालिक तंत्रिका संबंधी बीमारियां बनी रहती हैं।
- लगभग 20% रोगियों को दौरा और मानसिक परिवर्तन जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण देखे गए हैं।
- निपाह वायरस से ठीक होने वाले लोगों की एक छोटी संख्या कुछ समय बाद दोबारा एन्सेफलाइटिस से पीड़ित हो जाते है।
- निपाह वायरस के मामले की मृत्यु दर 40% से 75% तक निश्चित है।
कैसे पता करे की मुझे निपाह वायरस हुआ है?
निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण गंभीर और सामान्य वायरस के संक्रमण से मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन इनका स्पष्ट रूप से पता लगाना मुश्किल हो सकता है क्योंकि ये लक्षण कई अन्य बीमारियों या स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों के साथ मिल सकते हैं। लेकिन अगर आपको ऊपर दिए गए संकेतो एवं लक्षणों में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है तो आप जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचने की कोशिश करे।
चिकित्सालय में निपाह वायरस का परीक्षण शारीरिक तरल पदार्थ से वास्तविक समय polymerase chain reaction (आरटी-पीसीआर) और enzyme-linked immunosorbent assay (ELISA) के माध्यम से एंटीबॉडी का पता लगाता हैं।
निपाह वायरस के रोकथाम के उपाय
वर्तमान समय में निपाह वायरस के लिए कोई टीका या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसलिए इसको फैलने से रोकने के लिए कुछ रोकथाम के उपाय नीचे बताये गए है –
- निपाह के प्रकोप से बचने के लिए सुअर फार्मों को उचित डिटर्जेंट से नियमित और पूरी तरह से सफाई और कीटाणुशोधन का उपयोग करना चाहिए।
- यदि थोड़ा सा भी संदेह हो, तो पशु परिसर को तुरंत अलग कर दिया जाना चाहिए। जहां तक संभव हो लोगों को संक्रमित सूअरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
- लोगो की उपस्थिति से दूर संक्रमित जानवरों के शवों को दफनाने या जलाने की कड़ी निगरानी रखे।
- संक्रमित स्थानों से दूसरे क्षेत्रों के जानवरों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने से बीमारी के प्रसार को कम किया जा सकता है।
- अपने परिवार और समुदाय के सदस्यों को निपाह वायरस के संक्रमण के बारे में जागरूक करें, ताकि वे भी संक्रमण से बचाव के लिए सावधान रह सकें।
- चमगादड़ से मनुष्य में संचरण को रोकने के लिए खजूर के रस और अन्य ताजे खाद्य उत्पादों तक चमगादड़ की पहुंच से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए।
- खजूर के फलों को अच्छी तरह से धोना और छीलना चाहिए एवं इसके रस को उबाल कर ही प्रयोग करना चाहिए।
- चमगादड़ के काटने के निशान वाले फलों को हटा देना चाहिए।
- पशु-से-मानव संचरण के जोखिम को कम करने के लिए बीमार जानवरों या उनके ऊतकों को संभालते समय, या उनके मृत शव को दफ़नाने एवं जलाते समय दस्ताने और अन्य सुरक्षात्मक कपड़े पहनने चाहिए।
- मानव-से-मानव संचरण के खतरे को कम करने के लिए निपाह वायरस से संक्रमित लोगों के साथ असुरक्षित शारीरिक संपर्क से बचना चाहिए।
- बीमार लोगों की देखभाल करने या उनसे मिलने के बाद नियमित रूप से हाथ धोना चाहिए।
निपाह वायरस से बचाव और जागरूकता
निपाह वायरस से बचाव और जागरूकता आवश्यक है ताकि संक्रमण का प्रसार रोका जा सके। निम्नलिखित उपायों और सुझावों के माध्यम से निपाह वायरस से बचाव और जागरूकता प्राप्त कर सकते हैं:-
- स्वच्छता और हैजीन का खास ख्याल रखे।
- अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोये। खाने से पहले और खाने के बाद हाथों को धोना बेहद महत्वपूर्ण है।
- जितना हो सके मुंह और नाक को मास्क से बन्द करके रखे। यह भी सावधानी बरतने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
- गंधर्व वायरस से संक्रमित प्राणियों के संपर्क में आने से बचाव करे।
- निपाह वायरस के प्रमुख जीवाणु प्राचुर्य का स्रोत फ्रूट बैट्स हो सकते हैं, इसलिए इनके संपर्क से बचना महत्वपूर्ण है।
- जितना भी संभव हो फलों को धोने और पकने से पहले अच्छे से साफ करके खाये।
- संक्रमित व्यक्तियों के साथ संपर्क में आने से बचे। और संक्रमित व्यक्तियों के देखभाल में स्वच्छता का खास ध्यान रखें।
- अपने परिवार और समुदाय के सदस्यों को निपाह वायरस के संक्रमण के बारे में जागरूक करें और उन्हें संक्रमण से बचाव के उपायों के बारे में शिक्षा दें।
- यदि आपको या किसी अन्य व्यक्ति को निपाह वायरस संक्रमण के संकेत दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और सुझाव दी गई चिकित्सा प्रक्रिया का पालन करें।
- जिन स्थानों पर निपाह का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है वहां की यात्रा करने से बचना चाहिए।
निपाह वायरस एक गंभीर संक्रमण होता है, और इसका इलाज त्वरित चिकित्सक सहायता के बिना कठिन हो सकता है। संक्रमण से बचाव के लिए उपर्युक्त उपायों का पालन करना बेहद जरुरी है।
निपाह वायरस के इलाज एवं उपचार
वर्तमान में निपाह वायरस संक्रमण के लिए विशिष्ट कोई दवा या टीका नहीं है, हालांकि डब्ल्यूएचओ ने डब्ल्यूएचओ अनुसंधान और विकास ब्लूप्रिंट के लिए निपाह को प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में माना है। गंभीर श्वसन और तंत्रिका संबंधी जटिलताओं के इलाज के लिए व्यवस्था उपलब्ध है।
निपाह वायरस को लेकर डब्ल्यूएचओ की चेतावनी
डब्ल्यूएचओ निपाह वायरस के संबंध में गंभीर रूप से जागरूक है और निपाह वायरस के प्रकोप को प्रबंधित करने और उनकी घटना को रोकने के तरीके पर तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है। यह संक्रमण की निगरानी कर रहा हैं और जनसामान्य को निपाह वायरस के बचाव के बारे में जागरूक करते हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि संक्रमित फल, चमगादड़ों के मूत्र या लार से दूषित फलों या फल उत्पादक (जैसे कच्चे खजूर का रस) को अच्छी तरह से धोने और छीलने से निपाह वायरस को रोका जा सकता है। चमगादड़ के काटने वाले फलों को हटा देना चाहिए।
निपाह वायरस के बारे में नवीनतम जानकारी
केरल के कोझिकोड में मंगलवार (12 सितंबर) 2023 निपाह वायरस से को दो लोगो की मृत्यु हो गयी है। जबकि इस समय तीन लोग और निपाह वायरस पॉजिटिव आये हैं, जिसमे एक 25 वर्ष का स्वास्थकर्मी है और एक 9 साल के बच्चे की हालत गंभीर बानी हुई है।
निपाह वायरस से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: निपाह वायरस upsc:
उत्तर: निपाह वायरस से सम्बंधित UPSC में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण बिंदु निम्न है:
निपाह वायरस
- निपाह वायरस “ज़ूनोटिक वायरस” जानवरों से इंसानों में फैलने वाला वायरस है।
- निपाह वायरस को पहली बार वर्ष 1998 – 1999 में मलेशिया तथा सिंगापुर में मिला था।
- निपाह वायरस का नाम मलेशिया के एक गाँव सुंगई निपाह के नाम पर रखा गया है, जहाँ सबसे पहले इसका पता चला था।
- निपाह वायरस पहली बार घरेलू सुअरों में देखा गया था।
- निपाह वायरस ‘फ्रूट बैट’ अथवा ‘चमगादड़’ के माध्यम से फैलता है, जो निपाह और हेंड्रा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं।
- निपाह वायरस चमगादड़ के मूत्र और संभावित रूप से चमगादड़ के मल, लार व जन्म के समय तरल पदार्थों में मौजूद होता है।
- निपाह वायरस से पीड़ित मनुष्य को बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, भटकाव, मानसिक भ्रम, कोमा और संभावित मृत्यु आदि इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
- वर्तमान समय में मनुष्य तथा जानवर दोनों के लिये कोई टीका या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
Q: Does Nipah Virus have vaccine?
Ans: Its vaccines are being developed.
Q: What type of virus is Nipah Virus?
Ans: Nipah virus is a type of RNA virus belonging to the Paramyxoviridae family.
Q: Is there a Nipah Virus vaccine?
Ans: No.
Q: Nipah Virus from which animal?
Ans: Fruit bats.
Q: Can Nipah Virus spread from human to human?
Ans: Yes, Nipah virus can spread from human to human.
Q: How long does Nipah Virus survive?
Ans: The survival time of Nipah virus (NiV) in the environment can vary depending on several factors, including temperature, humidity, and the medium in which the virus is present.
Q: What does Nipah Virus do
Ans: Nipah virus can cause severe respiratory and neurological illnesses in humans, including encephalitis, which can lead to altered consciousness and a high mortality rate.
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