हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर जैनेन्द्र कुमार का जन्म जिला अलीगढ के कौडियागंज नामक स्थान पर सन 1905 ईस्वी में हुआ था।दो वर्ष की उम्र में इनके ऊपर से पिता का साया उठ गया। इनकी माता और मामा ने इनका पालन पोषण किया। जैनेन्द्र जी प्रारम्भ से ही अंतर्मुखी प्रवृति को लेकर चलने वाले कहानीकार रहें है। संसार के अभावों से सुपरिचित केवल माँ के स्नेह से सिंचित व्यक्ति के लिए यह स्वाभाविक है। ये अपनी माँ से बहुत प्रेम करते थे। इनकी कई कहानियों में माँ बेटे के सहज प्रेम की अभिव्यक्ति परिलक्षित होती है तथा बाल मनोविज्ञान का सुन्दर निदर्शन हुआ है। हिंदी साहित्य में जैनेन्द्र जी को मनोवैज्ञानिक कहानीकार के रूप में स्वीकार किया है।
लेखक का नाम | जैनेन्द्र कुमार |
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जन्म तिथि | सन 1905 |
जन्म स्थान | जिला अलीगढ के कौड़ियागंज |
पिता का नाम | श्री प्यारे लाल |
माता का नाम | श्रीमती रामदेवी |
बचपन का नाम | आनंदीलाल |
मुख्य देन | कहानी और उपन्यास |
प्रारम्भिक शिक्षा | इनके मामा द्वारा स्थापित हस्तिनापुर के एक गुरुकुल में इनकी शिक्षा हुई। |
उच्च शिक्षा | काशी हिन्दू विश्वविद्यालय |
पत्नी | भगवती देवी |
प्रसिद्ध कहानी | फाँसी |
प्रसिद्ध उपन्यास | परख |
मृत्यु | 24 दिसम्बर ,1988 |
जीवन काल | 83 वर्ष |
जैनेन्द्र कुमार का साहित्यिक परिचय
यहां जैनेन्द्र कुमार का जीवन परिचय के साथ साथ संपूर्ण साहित्यक परिचय के बारे में भी बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
जैनेन्द्र जी की सुप्रसिद्ध कहानी ‘एक रात’ में मनोविकार से ग्रसित व्यक्तित्व का अंकन है। तमाशा कहानी में भी विनोद अपने बच्चे की मृत्यु के बाद खिलोने के बेबी के प्रति सम्पूर्ण स्नेह प्रेम को उड़ेलकर अपनी अतृप्ति को तृप्त करना चाहता है वास्तव में उनके अनुसार कहानी में दवंद एक आवश्यक तत्व है जैसा की उनकी ‘पत्नी ‘कहानी में उसकी सार्थकता एवं गति द्व्न्द समाहित है। वह घटना विकास पर ध्यान नहीं देती बल्कि अनुभव, मनः स्थिति एवं मनोवैज्ञानिक सत्य को व्यक्त करती चलती है और कहानीकार का लक्ष्य भी यही है। जैनेन्द्र जी की सर्वश्रेष्ट कहानियां उनकी मनोवैज्ञानिक कहानियां है। जैनेन्द्र जी की कहानी कला का चरमोत्कर्ष इनकी कहानियों में व्यापक रूप से दिखाई पड़ता है।इनकी भाषाओँ में अपार चिंतन व्यक्त होता है जैसे ये लिखते वक्त सोच-सोच कर लिखते हो।
जैनेन्द्र कुमार की रचनाएँ
कहानी संग्रह | प्रकाशन वर्ष |
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फाँसी | सन 1929 |
वातायन | सन 1930 |
नीलम देश की राजकन्या | सन 1933 |
एक रात | सन 1934 |
दो चिड़ियाँ | सन 1935 |
पाजेब | सन 1942 |
जयसंधि/ जैनेन्द्र की कहानियां(सात भाग) | सन 1929 |
उपन्यास | |
परख | सन 1921 |
सुनीता | सन 1935 |
त्यागपत्र | सन 1937 |
कल्याणी | सन 1939 |
विवर्त ,सुखदा ,व्यतीत | सन 1953 |
दशार्क | सन 1985 |
अनामस्वामी | सन 1974 |
जयवर्धन /'मुक्ति-बोध'(कथा के पात्र-मैं, पत्नी-राजी, बेटी-अंजु(अन्जो) इत्यादि)। | सन 1956 |
निबंध -संग्रह | |
प्रस्तुत प्रश्न | सन 1936 |
जड़ की बात | सन 1945 |
पूर्वोदय | सन 1959 |
साहित्य का श्रेय या प्रेय | सन 1953 |
मंथन | सन 1953 |
सोच विचार ,काम प्रेम और परिवार | सन 1953 |
ये और वे | सन 1954 |
इतस्ततः | सन 1963 |
समय और हम | सन 1964 |
परिप्रेक्ष्य | सन 1977 |
अनूदित ग्रंथः | |
मंदालिनी | सन 1935 |
प्रेम में भगवान | [कहानी संग्रह ]सन 1937 |
पाप और प्रकाश | (नाटक) सन 1953 |
सम्पादित ग्रन्थ सम्पादित ग्रन्थ | |
साहित्य चयन | (निबंध संग्रह) सन 1959 |
विचारवल्लरी | (निबंध संग्रह)सन 1952 |
सह लेखन | |
तपोभूमि | उपन्यास, ऋषभचरण जैन के साथ-सन 1932 |
जीवनी | |
अकाल पुरुष गाँधी | सन 1968 |