प्रतापनारायण मिश्र की जीवनी Pt. Pratapnarayan Mishra ki Jeevani

प्रतापनारायण मिश्र की जीवनी: प्रताप नारायण मिश्र का जन्म, जीवन परिचय, साहित्यिक परिचय, विशेषताएं, चरित्र चित्रण, जीवनी, निबंध, बाल्यकाल, यौनावस्था, प्रेम, विवाह, रचनाएँ, कृतियाँ, हिंदी क्षेत्र में मिश्रा जी का योगदान, भारतेन्दु मंडल का हिस्सा, भाषा शैली, मृत्यु, आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।

Biography of Pratap Narayan Mishra: Pratap Narayan Mishra’s Birth, Biography, Characteristics, Life Introduction, Literary Introduction, Character Illustration, Essay, Childhood, young age, Love, Marriage, Children, Compositions, Works, Contribution of Mishra ji in Hindi field, Part of Bharatendu Mandal Complete information about language style, death, etc.

प्रतापनारायण मिश्र का जन्म, जीवन परिचय, चरित्र चित्रण, जीवनी, निबंध, बाल्यकाल, यौनावस्था, प्रेम, विवाह, बैराग्य, रचनाएँ, विशेषताएं, मृत्यु।

Pratap Narayan Mishra biography in Hindi

प्रताप नारायण मिश्र जीवन परिचय
प्रतापनारायण मिश्रा की जीवनी
प्रतापनारायण मिश्र का जन्म24 सितंबर 1856
प्रतापनारायण मिश्र के पिता का नाम पं० संकठा प्रसाद मिश्र
प्रताप नारायण मिश्र के गुरु भारतेन्दु हरिश्‍चन्‍द्र
जन्म स्थान ग्राम बैजे पोस्ट बेथर जनपद उन्नाव उत्तर प्रदेश
राशि का नाम ज्ञात नहीं
राशि तुला राशि
प्रतापनारायण मिश्र की जाति ब्राह्मण
धर्म हिन्दू / राष्ट्रवादी
गोत्र कात्यायन
प्रताप नारायण मिश्र की मृत्यु 6 जुलाई 1894
प्रताप नारायण मिश्र की उम्र (मृत्यु के वक्त)37 वर्ष 9 माह 12 दिन
प्रताप नारायण मिश्र की मृत्यु का कारणगंभीर बीमारी के कारण
प्रताप नारायण मिश्र मृत्यु का स्थानउत्तर प्रदेश का कानपुर जिला
प्रचारक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
पेशा लेखक
विधाएँ निबंध, नाटक, कविता
सम्पादन ब्राम्हण मासिक पत्रिका
माता का नाम ज्ञात नहीं
वैवाहिक स्थिति वैवाहिक
पत्नी का नाम ज्ञात नहीं
पुत्र एवं पुत्री का नाम ज्ञात नहीं
स्वभाव हास्य विनोद
भाषा हिंदी, उर्दू एवं बंगला
भाषा शैली प्रधान शैली हास्य ब्यंग
साहित्य काल भारतेन्दु युग
साहित्य में स्थान भारतेन्दु मंडल के प्रमुख लेखक
प्रताप नारायण मिश्र का प्रसिद्ध नाराहिंदी, हिन्दू, हिन्दुस्तान
प्रताप नारायण मिश्र प्रमुख रचनाएँ
निबन्ध बात, निबन्ध नवनीत, प्रताप-पीयूष एवं एवं प्रताप समीक्षा
नाटक भारत-दुर्दशा, गौ संकट, हठी हम्मीर, कलि-प्रभाव एवं एवं कलि-कौतुक
अनुवादित इन्दिरा, पंचामृत, नीतिरत्नावली
कवितामन की लहर, प्रेम पुष्पावली, कानपुर महात्म्य, ब्रैडला स्वागत, दंगल खंड, तृप्यन्ताम्, लोकोक्तिशतक और और दीवो बरहमन (उर्दू)।

प्रतापनारायण मिश्रा कौन थे?

प्रतापनारायण मिश्र का जन्म: प्रताप नारायण मिश्र का जन्म 24 सितंबर 1856 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बैजे गांव में हुआ था। प्रतापनारायण मिश्रा भारतेंदु मंडल के एक प्रमुख साहित्यकार, लेखक, कवि और पत्रकार थे।

Birth of Pratap Narayan Mishra: Pratap Narayan Mishra was born on 24 September 1856 in Baije village of Unnao district of Uttar Pradesh. Pratapnarayan Mishra was a prominent litterateur, writer, poet and journalist of Bharatendu Mandal.

अकेलापन जब एकांत में बदलने लगता है,

तब एक लेखक का कलम चलने लगता है। 

प्रताप नारायण मिश्र के माता-पिता कौन थे?

प्रतापनारायण मिश्रा के माता-पिता का परिचय: प्रताप नारायण मिश्रा कात्यायन गोत्र और कन्याकुब्ज ब्राह्मण पंडित संकटादीन के पुत्र थे। प्रताप नारायण मिश्र के पिता संकटप्रसाद एक प्रसिद्ध ज्योतिषी थे। मिश्रा जी के जन्म के कुछ दिनों बाद ही उनके ज्योतिषी पिता पं. संकटप्रसाद मिश्र कानपुर आ गए और अपने परिवार के साथ यही रहने लगे।

प्रताप नारायण मिश्र की प्रारंभिक शिक्षा क्या है और कैसी रही?

प्रताप नारायण मिश्र की प्रारंभिक शिक्षा: प्रताप नारायण मिश्र के पिता संकटा प्रसाद मिश्र उन्हें ज्योतिष विद्या पढ़ाना चाहते थे, लेकिन मिश्र जी को ज्योतिष विद्या पढ़ना पसंद नहीं था। ज्योतिष शिक्षा में रुचि न होने के कारण उनके पिता ने उनका दाखिला अंग्रेजी स्कूल में करा दिया। लेकिन वहां भी उनका मन पढ़ाई में नहीं लगा, इसी तरह कई स्कूलों में जाने के बावजूद, वह अपने पिता की इच्छा के विपरीत पढ़ाई से दूर रहे।

18-19 वर्ष की आयु में अपने पिता की मृत्यु के बाद, उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा छोड़ दी, इस प्रकार मिश्रा की शिक्षा अधूरी रह गई। लेकिन प्रतिभा और स्वाध्याय की मदद से उन्हें हिंदी, संस्कृत, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी और बंगाली भाषा का अच्छा ज्ञान था।

प्रताप नारायण मिश्र के गुरु: मिश्र जी भारतेन्दु हरिश्‍चन्‍द्र के व्‍यक्तित्‍व से बहुत प्रभावित होने के कारण उनको अपना गुरु मानते थे। इन्होंने भारतेन्दु जैसी भाषा-शैली अपनाने का प्रयास किया जिसके कारण मिश्र जी “प्रति-भारतेंदु” और “द्वितीय हरिश्चंद्र” कहे जाने लगे थे। मिश्र जी छात्रावस्था से ही “कविवचनसुधा” (कविवचनसुधा भारतेन्दु हरिशचंद्र द्वारा सम्पादित एक हिन्दी समाचारपत्र था।) के गद्य-पद्य-मय लेखों का नियमित पाठ करते थे। जिससे उन्हें हिंदी के प्रति रुचि बढ़ती गयी। भारतेन्‍दु जी की ‘कवि-वचन-सुधा’ से प्रेरित होकर मिश्र जी ने कविताऍं भी लिखीं।

प्रताप नारायण मिश्र का साहित्यिक-परिचय: मिश्र जी के साहित्यिक जीवन का प्रारम्भ बड़ा ही ज़ायकेदार रहा है। मिश्र जी कानपुर में नाटक सभा का गठन करके हिन्दी को अपना अभिनयशाला बनाना चाहते थे। इन्हें संगीत में अत्यधिक रुचि थी, इस रुचि के कारण इन्होंने ‘लावनी’ तथा ‘ख्याल’ लिखने प्रारम्भ किए। यहीं से इनके कवि और लेखक जीवन का प्रारम्भ हुआ।

भारतेन्दु-जेैसी ही व्‍यावहारिक भाषा-शैली अपनाकर मिश्र जी ने कई मोैलिक और अनूदित रचानाऍं लिखी तथा ‘ब्राह्मण’ एवं ‘हिन्‍दुस्‍तान’ नामक मासिक पत्रों का सफलतापूर्वक सम्‍पादन किया। इन्होने ‘ब्राह्मण’ तथा ‘हिन्दुस्तान’ पत्रों के माध्यम से नव-जागरण का संदेश घर-घर तक पहुँचाया।

प्रेमपुष्पावली: 1882 के आसपास प्रताप नारायण मिश्रा की “प्रेमपुष्पावली” प्रकाशित हुई और भारतेन्दु जी ने उसकी प्रशंसा की तो उनका उत्साह और बढ़ गया।

ब्राह्मण नामक मासिक पत्र: 15 मार्च 1883 को, होली के दिन, अपने कई मित्रों के सहायता से मिश्रजी ने “ब्राह्मण” नामक मासिक पत्र निकाला था।

हिन्दुस्तान नामक मासिक पत्र: 1889 में मिश्र जी “हिंदोस्थान” के सहायक संपादक होकर कालाकाँकर आए। जिसके मूल रूप से संपादक उन दिनों पं॰ मदनमोहन मालवीय थे।

रसिक समाज की स्थापना: पं० प्रतापनारायण मिश्र ने 1891 में कानपुर में “रसिक समाज” की स्थापना की थी।

इस तरह पं० प्रतापनारायण मिश्र ने कांग्रेस के कार्यक्रमों के आलावा भारत धर्ममंडल, धर्मसभा, गोरक्षिणी सभा और अन्य सभा-समितियों के क्रियाशील कार्यकर्ता और सहायक बने रहे। कानपुर की कई नाट्य सभाओं और गोरक्षिणी समितियों की स्थापना उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है।

प्रतापनारायण मिश्र का मृत्यु: मिश्रजी बेहद अक्खड़ स्वाभाव के व्यक्ति थे। सन 1892 के अंत में वह गंभीर रूप से बीमार पड़े और लगातार डेढ़ वर्षो तक बीमार ही रहे। अंत में 38 वर्ष की आयु में 6 जुलाई 1894 को रात 10:00 बजे भारतेन्दु मण्डल के प्रमुख लेखक, कवि और पत्रकार पंचत्व में विलीन हो गए।

प्रतापनारायण मिश्र की कौन कौन सी रचनाएँ है?

प्रतापनारायण मिश्र की रचनाएँ: समाजसुधार को दृष्टि में रखकर मिश्र जी ने अपनी अल्‍पायु में ही लगभग 50 पुस्तकों की रचना की है। एक सफल व्यंग्यकार, विचारात्मक, गम्भीर, वर्णनात्मक और हास्यपूर्ण गद्य-पद्य-रचनाकार के रूप में हिंदी साहित्य में उनका विशिष्ट स्थान है। मिश्र जी की मुख्य कृतियाँ दो प्रकार की मौलिक एवं अनूदित निम्नांकित हैं:-

मौलिक कृतियाँ:

निबन्ध संग्रह: ‘प्रताप-पीयुष’, ‘निबन्ध-नवनीत’, ‘प्रताप-समीक्षा’ आदि।

नाटक: हठी हम्मीर, कलि-प्रभाव, गौ-संकट, भारत-दुर्दशा, कलि-कौतुक आदि।

संग्रह: प्रताप-संग्रह, रसखान-शतक आदि।

सम्‍पादन: ब्राह्मण एवं हिन्‍दुस्‍तान आदि।

रूपक: कलि-कोैतुक , भारत-दुर्दशा आदि।

प्रहसन: ज्‍वारी-खुआरी, समझदार की मौत आदि।

काव्‍य: मन की लहर, प्रताप-लहरी, शाकुन्तल, मानस-विनोद, श्रृंगार-विलास, लोकोक्ति-शतक, प्रेम-पुष्‍पावली, दंगल खण्‍ड, कानपुर महात्म्य, तृप्‍यन्‍ताम्, ब्राडला-स्‍वागत, मानस विनोद, शैव-सर्वस्‍व, प्रताप-लहरी, दीवो बरहमन (उर्दू) आदि।

अनूदित गद्य कृतियाँ: पंचामृत,चरिताष्‍टक, वचनावली, शिशु विज्ञान, नीतिरत्नावली, राजसिंह, राधारानी, कथामाला, युगलांगुरीय, सेनवंश का इतिहास, सूबे बंगाल का भूगोल, वर्णपरिचय,चरिताष्टक, पंचामृत, नीतिरत्नमाला, बात, संगीत शाकुन्‍तल आदि। इनके अतिरिक्‍त मिश्र जी ने लगभग 10 उपन्‍यासों, कहानी, जीवन-चरितों और नीति पुस्‍तकों का भी अनुवाद किया, जिनतें- राधारानी, अमरसिंह, इन्दिरा, देवी चौधरानी, राजसिंह,कथा बाल-संगीत आदि प्रमुख है।

प्रतापनारायण मिश्र की भाषा: भाषा की दृष्टि से भारतेंदु का अनुसरण करके मिश्रजी ने अपने साहित्य में खड़ीबोली के रूप में प्रचलित जनभाषा का प्रयोग किया है। प्रचलित मुहावरों, कहावतों तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग इनकी रचनाओं में हुआ है। संस्कृत, अरबी, फारसी, उर्दू, अंग्रेज़ी, आदि के प्रचलित शब्दों का भी प्रयोग है। भाषा विषय के अनुकूल है। गंभीर विषयों पर लिखते समय भाषा और गंभीर हो गई है। कहावतों और मुहावरों के प्रयोग में मिश्रजी बड़े कुशल थे। मुहावरों का जितना सुंदर प्रयोग उन्होंने किया है, वैसा बहुत कम लेखकों ने किया है। अत: भाषा प्रवाहयुक्‍त, सरल एवं मुहावरेदार है। मिश्रा जी की रचनाओं में पंडितों की तरह का व्यवहार और पूर्वीपन की प्रधानता अधिक है और ग्रामीण शब्दों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग हुआ है।

  • व्‍यावहारिक
  • खड़ीबोली

प्रतापनारायण मिश्र की की शैली: मिश्र की की शैली वर्णनात्मक, विचारात्मक तथा हास्य-व्यंग्यात्मक है।

विचारात्मक शैली: साहित्यिक और विचारात्मक निबंधों में मिश्रजी ने इस शैली को अपनाया है। कहीं-कहीं इस शैली में हास्य और व्यंग्य की पंक्ति भी मिलती है। इस शैली की भाषा मर्यादित और गंभीर है। जैसे- ‘मनोयोग’ शीर्षक निबंध का एक उदहारण:

“इसी से लोगों ने कहा है कि मन शरीर रूपी नगर का राजा है। और स्वभाव उसका चंचल है। 

यदि स्वच्छ रहे तो बहुधा कुत्सित ही मार्ग में धावमान रहता है।”

व्यंग्यात्मक शैली: इस शैली में मिश्रजी ने अपने हास्य-व्यंग्यपूर्ण निबंध लिखे हैं।यह शैली मिश्राजी की प्रदर्शनात्मक शैली है, जो उन पर पूरी तरह से जंचती है। वे हास्य-विनोद प्रिय व्यक्ति थे। इसलिए प्रत्येक विषय को हास्य और विनोदपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करते थे। हास्य और विनोद के साथ-साथ इस शैली में व्यंग्य के दर्शन होते हैं। विषय के अनुसार कहीं-कहीं व्यंग्य बहुत तीक्ष्ण और मार्मिक हो गया है। इस शैली की भाषा सरल, सारगर्भित और प्रवाहमयी है। इसमें उर्दू, फारसी, अंग्रेजी और ग्रामीण शब्दों का प्रयोग किया गया है। कहावतों और मुहावरों के प्रयोग के कारण यह शैली अधिक प्रभावशाली हो गई है। एक उदाहरण देखिए-

“दो-एक बार धोखा खाके धोखेबाज़ों की हिकमत सीख लो और कुछ अपनी ओर से झपकी-फुंदनी जोड़ कर उसी की जूती उसी का सर कर दिखाओ तो बड़े भारी अनुभवशाली वरंच ‘गुरु गुड़ ही रहा और चेला शक्कर हो गया’ का जीवित उदाहरण कहलाओगे।”

अंत में मिश्रा जी के सम्बन्ध में की गयी संक्षेप समालोचना: मिश्रजी भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखकों में से एक हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य में बहुत बड़ा योगदान रहा है। वे कवि होने के साथ-साथ उच्चकोटि के मौलिक निबंध लेखक और नाटककार थे। हिंदी गद्य के विकास में मिश्रजी का बड़ा योगदान रहा है। आचार्य शुक्ल ने पं॰ बालकृष्ण भट्ट के साथ मिश्रजी को भी महत्व देते हुए अपने हिंदी-साहित्य के इतिहास में लिखा है-

“पं० प्रतापनारायण मिश्र और पं० बालकृष्ण भट्ट ने हिंदी गद्य साहित्य में वही काम किया जो अंग्रेजी गद्य साहित्य में एडीसन और स्टील ने किया।”

Pratap Narayan Mishra Jivan Parichay-Pratap Narayan Mishra biography in Hindi

प्रताप नारायण मिश्र के बारे में प्रश्न उत्तर

प्रताप नारायण मिश्र  की जीवनी पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये?

प्रताप नारायण मिश्रा का जीवन परिचय लिखें।

प्रश्न: प्रताप नारायण मिश्रा का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: प्रताप नारायण मिश्र की जन्म तिथि 24 सितम्बर 1856 है।

प्रश्नः प्रताप नारायण मिश्र की मृत्यु कब हुयी थी?

उत्तर प्रताप नारायण मिश्र की मृत्यु तिथि 6 जुलाई 1894 है।

प्रश्न: प्रताप नारायण मिश्र का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर: प्रताप नारायण मिश्र का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बैजे गांव में है।

प्रश्न: प्रताप नारायण मिश्र के पिता कौन थे?

उत्तर प्रताप नारायण मिश्र के पिता पंडित संकटप्रसाद थे ?

प्रश्न: प्रताप नारायण मिश्र की कौन-सी कृतियाँ हैं?

उत्तर: प्रताप नारायण मिश्र की प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियाँ भारत दुर्दशा, लोकोक्ति शातक, श्रीप्रेम पुराण, प्रार्थना शातक, कौत, तृपंतम, हाथी हम्मीर, ब्रैडला स्वागत और कानपुर महामात्य थीं।

प्रश्न: प्रतापनारायण मिश्र की भाषा शैली क्या है?

उत्तर: प्रतापनारायण मिश्र की भाषा शैली व्‍यावहारिक खड़ीबोली है।

प्रश्न: प्रताप नारायण मिश्र के गुरु कौन थे?

उत्तर: प्रताप नारायण मिश्र के गुरु भारतेन्दु हरिश्‍चन्‍द्र जी थे।

प्रश्न: प्रताप नारायण किस युग के लेखक है ?

उत्तर: प्रताप नारायण मिश्र के भारतेंदुयुग के लेखक हैं।

प्रश्न: प्रताप नारायण का हिंदी साहित्य में क्या योगदान है?

उत्तर: प्रतापनारायण मिश्र भारतेन्दु मण्डल के प्रमुख लेखक, कवि और पत्रकार थे। वह भारतेंदु निर्मित एवं प्रेरित हिंदी लेखकों की सेना के महारथी, उनके आदर्शो के अनुगामी और आधुनिक हिंदी भाषा तथा साहित्य के निर्माणक्रम में उनके सहयोगी थे।

Monthly wise All India State Government/contract/Private Jobs

State NameMonth wise All India State Government/contract/Private Jobs 2023
Join our Telegram GroupClick Here
Join our Whatsapp GroupClick Here
प्राइमरी टीचर भर्ती 2023 50000+ post Click Here
Andaman & Nicobar Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Andhra Pradesh Latest State Government Job NotificationsClick Here
Arunachal Pradesh Latest State Government Job NotificationsClick Here
Assam Latest State Government Job NotificationsClick Here
Bihar Latest State Government Job NotificationsClick Here
Chandigarh Latest State Government Job NotificationsClick Here
Chhattisgarh Latest State Government Job NotificationsClick Here
Dadra & Nagar Haveli Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Daman & Diu Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Delhi Latest State Government Job NotificationsClick Here
Goa Latest State Government Job NotificationsClick Here
Gujarat Latest State Government Job NotificationsClick Here
Haryana Latest State Government Job NotificationsClick Here
Himachal Pradesh Latest State Government Job NotificationsClick Here
Jammu and Kashmir Latest State Government Job NotificationsClick Here
Jharkhand Latest State Government Job NotificationsClick Here
Karnataka Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Kerala Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Lakshadweep Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Madhya Pradesh Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Maharashtra Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Manipur Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Meghalaya Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Mizoram Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Nagaland Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Odisha Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Puduchhery Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Punjab Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Rajasthan Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Sikkim Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Tamil Nadu Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Telangana Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Tripura Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Uttar Pradesh Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
Uttarakhand Latest State Government Job Notifications 2023Click Here
West Bengal Latest State Government Job Notifications 2023Click Here

Add Comment